आचार्य प्रज्ञासागर जी महाराज के अवतरण दिवस पर कोटा में भव्य प्रज्ञारण कार्यक्रम
चलचित्र और नाट्य मंचन के साथ गूंजेगा भक्ति, वैराग्य और संस्कृति का अद्भुत संगम
कोटा।स्मार्ट हलचल|गुरु आस्था परिवार कोटा के तत्वावधान में तथा सकल दिगंबर जैन समाज कोटा के आमंत्रण पर, तपोभूमि प्रणेता, पर्यावरण संरक्षक एवं सुविख्यात जैनाचार्य आचार्य 108 श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज का 37वां चातुर्मास महावीर नगर प्रथम स्थित प्रज्ञालोक में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक गरिमा के साथ दशलक्षण पर्व पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन, भव्य आरती और नाट्य प्रस्तुतियां होंगी।
जैन धर्म के दस मूलभूत सिद्धांत
आचार्य 108 श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज ने बताया कि दशलक्षण पर्व जैन धर्म के दस मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है, जिनमें उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन और उत्तम ब्रह्मचर्य शामिल हैं। दस लक्षण पर्व से जैन अनुयायी अपने भीतर की कमजोरियों, जैसे—क्रोध, अहंकार, माया, लोभ, और आसक्ति—का त्याग करने का अभ्यास करते हैं, जो मोक्ष मार्ग का आधार है।यह पर्व आध्यात्मिक शुद्धता और मानसिक पवित्रता के लिए मनाया जाता है। दस लक्षण पर्व आत्म-निर्माण, आचारशुद्धि और मोक्ष की दिशा में उठाया गया जैन समाज का उत्कृष्ट साधना पर्व है, जहाँ धर्म के श्रेष्ठ दस लक्षणों का व्यावहारिक दर्शन कराया जाता है। चेयरमैन यतीश जैन खेडावाला ने बताया कि इसी क्रम में प्रज्ञालोक में 350 श्रावक संस्कार ग्रहण कर रहे हैं। जो प्रतिदिन सुबह पांच बजे से रात्रि 08 बजे तक की नियमित आध्यात्मिक दिनचर्या का पालन कर रहे हैं।
रविवार को होगा कवि सम्मेलन
अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली व महामंत्री नवीन जैन दौराया ने बताया कि रविवार को रात्रि 08 बजे अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमें प्रसिद्ध कवि और कलाकार भाग लेंगे। कवि सम्मेलन में गौरव चौहान (इंदौर), दीपक पार्थिव (इंदौर), प्रार्थ नवीन (ग्वालियर), जैन कमल प्रभु (सूरत), जैन हर्ष पद्म गौरा (पुणे), और शोभना स्वर प्रतिका राठौड़ी (नागौर) जैसे प्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
भक्ति और वैराग्य का अद्भुत संगम
गुरुदेव आचार्य श्री 108 प्रज्ञासागर जी महाराज के अवतरण दिवस पर गुरू आस्था परिवार द्वारा एक अद्वितीय प्रज्ञारण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी मिलकर गुरूदेव के जन्म से लेकर वैराग्य जीवन की प्रेरणादायी गाथा को जीवंत रूप देंगे।
चलचित्र के माध्यम से गुरूदेव के जीवन प्रसंग मंचित होंगे, जो दर्शकों को भाव-विभोर कर देंगे। गुरू आस्था परिवार के सदस्य स्वयं अभिनय कर गुरूदेव के त्याग और साधना की झलक नाट्य मंचन के रूप में प्रस्तुत करेंगे। इस कार्यक्रम की संयोजिका पूजा सर्राफ, रिंक दौराया होंगी। आयोजन में देशभर से श्रद्धालुओं और गुरू भक्तों की उपस्थिति रहने की संभावना है।
नियमित रात्रि 8 बजे होंगे आयोजन
कोषाध्यक्ष अजय जैन ने बताया कि प्रज्ञालोक में 02 सितंबर से 06 सितंबर तक विशेष कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें 02 सितंबर को सुगंध दशमी महाआरती, 03 सितंबर को दिव्य देशना महिला मंडल लाल मंदिर द्वारा तप आराधन भव्य नाटिका का आयोजन, 04 सितंबर को श्री महावीर दिगंबर जैन सफेद मंदिर महावीर नगर प्रथम एवं 05 सितंबर को अकलंक स्कूल द्वारा कार्यक्रम 06 सितंबर को अनंत चतुर्दशी की भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाएगा।
सामूहिक क्षमावाणी
अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि 06 सितंबर को क्षमावाणी पर्व का आयोजन प्रज्ञालोक में किया जाएगा जिसमें गुरूवर आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज सामूहिक क्षमावाणी के माध्यम से सैकड़ों लोगों को एक साथ प्रतिक्रमण करवाएंगे। गुरूदेव सैकड़ों श्रद्धालुओं को एक साथ प्रतिक्रमण करवाएंगे और उन्हें क्षमापना, संयम और आत्मशुद्धि का संदेश देंगे।
राजनीति में धर्म होना चाहिए, धर्म की राजनीति नहीं
गुरुदेव प्रज्ञासागर जी महाराज ने समसामयिक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि राजनीति में धर्म होना चाहिए, किंतु धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए। साधु का जीवन त्यागमय होना चाहिए, जिसमें पद, प्रतिष्ठा और धन का कोई आकर्षण न हो। साधु की वास्तविक चिंता समाज को सही मार्ग पर अग्रसर करना है।
गुरुदेव ने अपने संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने एक करोड़ पौधे लगाने का निर्णय लिया है, जिसके अंतर्गत अब तक 4.25 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। साथ ही उनके अनुयायियों को भी उनकी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने का संकल्प दिलवाया गया है।
मोबाइल के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए गुरुदेव ने कहा कि आज का दौर मोबाइल का दौर है, लेकिन यह सुविधा अब परेशानी में बदल गई है। छोटे बच्चों में मोबाइल की लत गंभीर समस्या बन गई है। उन्होंने कहा कि बच्चे अपने बड़ों का अनुसरण करते हैं, इसलिए यदि अभिभावक स्वयं मोबाइल से दूरी बनाएँगे तो बच्चे भी स्वाभाविक रूप से मोबाइल से दूर रहना सीखेंगे।