Homeसोचने वाली बात/ब्लॉगजाने- संविधान लागू करने के लिए क्यों चुनी यही तारीख ?

जाने- संविधान लागू करने के लिए क्यों चुनी यही तारीख ?

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को क्यों मनाते हैं ?

कैसे और किस आधार तय होता है मुख्य अतिथि और कौन लगाता है नाम पर मुहर ?

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर ?

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति और स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री क्यों फहराते हैं तिरंगा ?

गणतंत्र दिवस 2025 की थीम क्या है ?

मदन मोहन भास्कर

स्मार्ट हलचल/भारत 76 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। देश के गौरवपूर्ण इतिहास का प्रतीक राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से लेकर कोहिमा तक पूरे देश में हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया किया जाता है। इस दिन लोग अपना धर्म, जाति, लिंग भूल कर इस दिवस को मनाते हैं। यह सचमुच हमारे देश की विविधता को दर्शाता है। भारत की राजधानी दिल्ली इसे गणतंत्र दिवस परेड के साथ मनाती है जो भारतीय सेना की ताकत और हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। यह दिन हर भारतवासियों के लिए बहुत ही गर्व का दिन होता है।हालांकि यह बहुत खुशी का दिन है, हमें स्वतंत्रता के उस संघर्ष को नहीं भूलना चाहिए जिसमें हमारे पूर्वजों, देशभक्तों ने भाग लिया था।26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया।

गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह दिल्ली के कर्तव्य पथ (राजपथ) में होता है। राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। भव्य परेड होती है, जिसमें भारतीय सशस्त्र बल, अर्धसैनिक बल, एनसीसी कैडेट्स और स्कूली बच्चे भाग लेते हैं। हर राज्य की विभिन्न झांकियों के जरिए भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन होता है। इसके साथ ही आधुनिक भारत और आगे बढ़ते भारत की झांकियां भी दिखाई जाती हैं।26 जनवरी के मौके पर भी देश के वीर जवानों और नागरिकों को उनकी असाधारण बहादुरी और योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र जैसे सैन्य पुरस्कार दिए जाते हैं। वैसे तो 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश होता है लेकिन स्कूल, कॉलेज से लेकर सभी सरकारी दफ्तर गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए खुलते हैं। हर तरफ देशभक्ति की छटा बिखरी होती है। ये दिन हमें भारतीय संविधान की ताकत और लोकतांत्रिक मूल्यों की याद दिलाता है। भारतीय होने पर गर्व महसूस कराने के साथ-साथ एक जिम्मेदार नागरिक के कर्तव्यों की याद दिलाता है। तकनीकी रूप से आगे बढ़ने के साथ-साथ अपने मूल्यों के संरक्षण की की याद दिलाता है।

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है ?

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की अध्यक्षता में तैयार किए गए संविधान ने लोकतंत्र, समानता और स्वतंत्रता के मूल सिद्धांत स्थापित किए। भारत 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है जो हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक और गर्व का दिन है। यह वह दिन है जब 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बन गया। यह दिन हमारे गणतंत्र होने की याद दिलाता है। इतिहास के पन्नों में इस दिन को इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी।

भारत का संविधान 26 जनवरी को क्यों लागू हुआ था ?

भारत का संविधान 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर 26 नवंबर 1949 को तैयार हो गया था । स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इसे लागू करने के लिये 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

गणतंत्र दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

भारत के नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन स्वतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था का जश्न मनाया जाता है । इस दिन को मनाकर देशभक्ति के उत्साह, राष्ट्रीय गौरव, एकता को बढ़ावा दिया जाता है।

भारत गणतंत्र दिवस का महत्व

इस दिन भारतीय संविधान लागू हुआ जिसने देश को अपने स्वयं के कानून और अधिकार दिए। यह भारत के एक उपनिवेश से एक स्वतंत्र और स्वतंत्र राष्ट्र बनने की यात्रा को दर्शाता है। गणतंत्र दिवस हमें हमारे नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत और बलिदान की याद दिलाता है।गणतंत्र दिवस भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सब बराबर हैं और देश के शासन में हमारी भी भागीदारी है। यह दिन देश की कई जातियां, संस्कृतियों और धर्मों को एकजुट होने का अवसर देता है। गणतंत्र दिवस संविधान के महत्व की याद दिलाता है जो हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।

26 जनवरी का ऐतिहासिक महत्व

सन 1930 में 26 जनवरी के दिन ही लाहौर अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग और घोषणा की थी। 26 जनवरी को संविधान लागू करके भारत ने ब्रिटिश शासन से आजादी के अपने संघर्ष को पूरा किया और एक नए युग की शुरुआत की। इस दिन को चुनकर देश ने 1930 के पूर्ण स्वराज दिवस को भी याद किया।

गणतंत्र शब्द का क्या अर्थ है?

‘गणतंत्र’ दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है, गण का अर्थ है जनसमूह और तंत्र का अर्थ है प्रणाली। इसलिए संविधान हमारे देश की शासन , प्रशासन और सामाजिक व्यवस्था को बताता है। देश के विकास के लिए लोकतंत्र होना बहुत ज़रूरी है। वर्षों से गुलामी के बाद देश का संविधान बनाया जो सिर्फ हमारे नागरिकों के हित के लिए बनाया गया है। यह दिन संविधान के सभी निर्माताओं को याद करने का दिन है। भारत का संविधान जीने की दिशा प्रदान करता है।

झंडा फहराने और ध्वजारोहण में अंतर ?

क्या होता है झंडा फहराना ?
देश के राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं । झंडा फहराने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को पोल से ऊपर की तरफ बांधा जाता है और फिर राष्ट्रपति रस्सी खींचकर झंडा फहराते हैं।

ध्वजारोहण क्या होता है?

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया जाता है जो झंडा फहराने से काफी अलग होता है। 15 अगस्त के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। ध्वजारोहण झंडा फहराने से अलग होता है। इस मौके पर राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर की तरफ खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है।ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि जब हमारा देश गुलामी से आजाद हुआ था तो उस समय अंग्रेजी सरकार का झंडा उतारकर हमारे राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया था। यही वजह है कि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडे को ऊपर की तरफ चढ़ाया जाता है और फिर फहराते हैं।

गणतंत्र दिवस 2025 की थीम क्या है?

भारत के 76 वें गणतंत्र दिवस 2025 की थीम ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ है। ये थीम देश की विरासत को संभालते हुए भारत की प्रगति की यात्रा को दर्शाती है।

26 जनवरी पर मुख्य अतिथि का इतिहास क्या है ?

सन् 1950 में इस परंपरा की शुरुआत हुई थी। सबसे पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को ही भारत ने अपने पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाया था। तब जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। यह परंपरा भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक संबंंधो को जाहिर करने का एक तरीका होता है। यह हर साल तय किया जाता है कि कौन इस बार भारत का मुख्य अतिथि बनेगा।

कैसे और किस आधार तय होता है मुख्य अतिथि और कौन लगाता है नाम पर मुहर ?

गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के मुख्य अतिथि होंगे। गणतंत्र दिवस 2025 के खास मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को भारत ने मुख्य अतिथि बनाया है। प्रबोवो सुबियांतो राजकीय मेहमान होंगे। सन 1950 के बाद यह चौथा अवसर होगा जब इंडोनेशिया का राष्ट्रपति भारत में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आ रहा है। जानकारी के अनुसार वह 25 और 26 जनवरी को भारत में दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। यह भारत के लिए बेहद खास मौका है। सुबियांतो की यह पहली भारत यात्रा है। विदेश मंत्रालय की ओर से आए बयान के अनुसार भारत और इंडोनेशिया के बीच काफी पुराना रिश्ता है।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति और स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री क्यों फहराते हैं तिरंगा ?

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति और स्वतंत्रता दिवस को प्रधानमंत्री इसलिए झंडा फहराते हैं क्योंकि जब 15 अगस्त, 1947 में देश आजाद हुआ था तो प्रधानमंत्री ही उस समय देश के मुखिया थे। इसलिए तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ध्वजारोहण किया था।गणतंत्र दिवस के मौके पर जब 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ तो उस समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके थे और इसलिए वही देश के संवैधानिक प्रमुख थे। ऐसे में उन्होंने पहले गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया था। तब से लेकर आज तक यही परंपरा चली आ रही है।

26 जनवरी को कितने बजे झंडा फहराया जाता है?

आमतौर पर ये 9:00 ध्वजा रोहण के बाद सुबह 9:30 पर 26 जनवरी को हर साल प्रदर्शित की जाती है। गणतंत्र दिवस की परेड का कुल समय लगभग 3 घंटे का होता है। सरकारी भवन पर ध्वज रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है। विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है। ध्वज को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए ।

तिरंगा के डिजाइनर कौन थे?

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को डिजाइन महान स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने किया था। वे एक व्याख्याता , लेखक, भूविज्ञानी , शिक्षाविद, कृषक और बहुभाषी भी थे। तिरंगा डिज़ाइन के लिए उन्होंने साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के झंडे का अध्ययन किया।इसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन में उनकी भूमिका के लिए पिंगली वेंकैया को इसलिए तिरंगा के जनक के रूप में जाना जाता है।

झंडा कितने रंग और साइज़ कितना होता है?

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं। केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है।

झंडा फहराने वाली पहली महिला कौन थी?

मैडम भीकाजी कामा 22 अगस्त 1907 को विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज फहराने वाली पहली व्यक्ति बनीं। जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ध्वज फहराते हुए उन्होंने ब्रिटिशों से समानता और स्वायत्तता की अपील की जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप पर कब्जा कर लिया था।

अशोक चक्र में 24 रेखाएं क्यों होती हैं?

अशोक चक्र की 24 तीलियाँ 24 सद्गुणों का प्रतीक हैं जो हमें धार्मिकता, न्याय और अखंडता की ओर ले जाती हैं । प्रत्येक तीली एक सिद्धांत का प्रतिनिधित्व करती है जो सम्मान के साथ जीने और हमारे विविध राष्ट्र को एक साथ बांधने वाले मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है। अशोक चक्र की हर तीली जीवन के एक अलग दर्शन का प्रतिनिधित्व करती है। इस चक्र को “समय का पहिया” भी कहा जाता है क्योंकि इसकी तीलियाँ दिन के 24 घंटों का प्रतिनिधित्व करती हैं। अशोक चक्र को बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म की आकृतियों का उपयोग करके डिज़ाइन किया गया है। इस आकृति को ‘धर्म चक्र’ कहा जाता है।अशोक चक्र की तीलियाँ अनेक मूल्यों का प्रतीक हैं, जिनमें बहादुरी, निस्वार्थता, धीरज, धार्मिकता, प्रेम, आध्यात्मिक ज्ञान, नैतिकता, कल्याण, उद्योग, समृद्धि और विश्वास शामिल हैं।24 तीलियाँ बुद्ध और ‘पटिक्कासमुप्पदा’ (आश्रित उत्पत्ति, सशर्त उत्पत्ति) द्वारा सिखाए गए बारह कारण संबंधों को आगे और पीछे के क्रम में दर्शाती हैं। पहली 12 तीलियाँ दुख के 12 चरणों को दर्शाती हैं। अगली 12 तीलियाँ बिना किसी कारण के प्रभाव को दर्शाती हैं ।

कैसे करें गणना कौनसा गणतंत्र दिवस है ?

गणतंत्र दिवस को लेकर भ्रम की स्थिति होना कोई नई बात नहीं है। यह समझना बेहद ही जरूरी है कि वर्षगांठ की गिनती कैसे की जाती है। भारत ने पहली बार 1950 में गणतंत्र दिवस मनाया था। इसलिए तब से इसकी गिनती की जानी चाहिए। दूसरा गणतंत्र दिवस समारोह 1951 में मनाया गया और तीसरा 1952 में और इसी तरह आगे भी मनाया गया। 2025 में भारत 76वां गणतंत्र दिवस मनाएगा क्योंकि भारत ने एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पूरे 75 साल पूरे कर लिए हैं और साल 2025 में यह अपने 76वें वर्ष में एंट्री करेगा। इसलिए 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जाएगा। भ्रम की स्थिति इसलिए पैदा होती है क्योंकि कुछ लोग इसकी गिनती करने के दौरान गलती से एक साल ज्यादा जोड़ देते हैं।

डॉ.बी.आर. अंबेडकर जी का गणतंत्र दिवस में क्या योगदान है?

संविधान निर्माण में विधानसभा की सबसे महत्वपूर्ण समिति – प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और अन्य महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य थे । इसके अध्यक्ष के रूप में उन्हें समिति द्वारा तैयार किए गए प्रारूप संविधान का बचाव करना था और इसलिए उन्होंने लगभग हर बहस में हस्तक्षेप किया। डॉ. बी.आर.अम्बेडकर जी शिक्षा के द्वारा मानव में समग्र विकास करना चाहते थे। इसलिये वह शिक्षा को मानव के सर्वांगीण विकास का साधन मानते थे। शिक्षा के साथ-साथ वह चरित्र को भी महत्त्वपूर्ण प्रदान करते थे । उनका मानना था कि समाज को चरित्रवान एवं शिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता है।

कर्त्तव्य पथ पर भव्य परेड का कैसे होता है आयोजन ?

गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य आकर्षण दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित भव्य परेड है । परेड में
भारतीय सशस्त्र बलों की मार्चिंग टुकड़ियां,राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करती जीवंत झांकियां,भारत की विविधता को उजागर करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम,लड़ाकू विमानों द्वारा केसरिया, सफेद और हरे धुएं के निशान छोड़ते हुए एक अद्भुत उड़ान होती है । इस बार 31 झांकियां , जिनमें गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का प्रतिनिधित्व शामिल है।

इनसे कब मिलेगा छुटकारा

आजादी के इतने दिन बाद भी देश में आज भी आतंकवाद, नक्सलवाद, लिंग भेद, महिला विरोधी अपराध व उनसे भेदभाव, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा जैसी समस्याएं हैं। इन्हें जड़ से मिटाने के लिए एक साथ आगे आना होगा। देश में हर घर में पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी है। हर शहर व गांव के हर घर में 24 घंटे बिजली के लक्ष्य को पाना है। सभी को आज के दिन अपने क्षेत्र को स्वच्छ रखने का संकल्प भी लेना चाहिए।गणतंत्र दिवस का मौका केवल देशभक्ति और जोश से रोम-रोम जगाने का ही नहीं बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों और देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को भी याद करने का है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES