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देखरेख के अभाव में दुर्दशा का शिकार हो रहा पुर का राजसरोवर तालाब

भीलवाड़ा । उपनगर पुर में करीब 50000 की आबादी होने के बावजूद यहां फसलों की सिंचाई एवं पशुओं के पानी पीने का मुख्य स्रोत करीब 500 साल से अधिक पुराना राजसरोवर तालाब देखरेख के अभाव में दुर्दशा का शिकार हो रहा है। तालाब के हालात इतने विकट है कि यहां जगह-जगह तालाब के बीच में अंग्रेजी बंबूल उग आए हैं तथा पास पानी की आवैं पूरी तरह से टूट जाने से पहाड़ियों से आने वाले पानी की आवक पूरी तरह से बंद हो चुकी है जिससे तालाब बारिश के दिनों में भी पूरा नहीं भर पता है। यदि तालाब की आवक के लिए आवो की सफाई नहीं की जाएगी तो पानी की आवक नहीं होने से यह तालाब पूरी तरह से सूख जाएगा। तालाब के पेटे में कई अवैध ईट भट्ठे संचालित हो रहे है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है एवं तालाब की करीब 20 बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। वही तालाब के बीचो-बीच स्थित छतरिया भी दुर्दशा का शिकार होकर खंडहर हो चुकी है। अगर छतरीयों का जीर्णोद्धार कर इन्हें सुधार दिया जाए तो तालाब के बीचो-बीच होने से यह एक अच्छा पर्यटक स्थल बन सकता है किंतु प्रशासन की अनदेखी के चलते पुर के सबसे बड़े तालाब की दुर्दशा हो रही है और लोग यहां कचरा डालने से भी नहीं कतराते हैं जिससे पानी की आवक बंद होने से एवं या कचरा डाले जाने से यह मात्र कूड़े का भंडार बनकर रह गया है जिससे ना तो सिंचाई ने पीने का पानी और नहीं मवेशियों को पानी मिल पाता है। अगर यही दुर्दशा रही तो बारिश के दिनों में भी तालाब रीता रहता ही रह जाएगा।

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