जांच के नाम पर बार बार होती रही है लीपापोती
अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के अस्तित्व को खत्म करने की एक बड़ी साजिश
स्मार्ट हलचल|राठ मंच के संयोजक पंडित मनोज मुद्गल ने पूर्व में पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीमराना महल और किला तथा उसमें बना आसावरी माता का मंदिर बिकने के बाद आध्यात्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद होने की शिकायत करते हुए अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के वंशजों की कार्यस्थली राजस्थान के अलवर में नीमराना फोर्ट के अधिग्रहण की मांग की थी। सबसे पुराने किलों में से यह एक है, बता दें इसे पृथ्वीराज चौहान के वंश द्वारा निर्मित किया गया था। नीमराना किला छह एकड़ और 12 स्तरों में फैला है। वहीं इस महल में 76 कमरे है।
दिल्ली वेयरहाउस ने अब इसे होटल में तबदील कर दिया है। नीमराना किला लगभग 500 साल से अधिक पुराना है और अरावली पहाड़ियों पर स्थित है। यह पर्यटकों को सबसे मजेदार सूर्यास्त देखने का मजा देता है।
चूंकि नीमराना हरियाली के बीच बसा है, इसलिए यहां का मौसम साल भर सुहाना रहता है। यह जगह मॉनसून के दौरान सुकून देने वाला है। साथ ही सर्दियों का मौसम भी मजेदार होता है।
पृथ्वीराज चौहान का यह भव्य किला और महल पटवार हल्का नीमराना तथा राजस्व विभाग के आला अफसरों ने किस्म बदलकर रजिस्ट्री कर दी थी, ज्ञात हो कि धरोहर संरक्षण के नाम पर खरीद लिया गया तथा संग्रहालय नहीं बनाकर इसमें होटल और अन्य व्यावसायिक कार्य शुरू कर दिया। जिसको लेकर करीब एक दर्जन भर आंदोलन इसके अधिग्रहण को लेकर किया जा चुके हैं। लेकिन, भ्रष्टाचार और सरकारी पहुंच के चलते इसका अधिग्रहण नहीं हो पाया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भी एक बार पृथ्वीराज फाउंडेशन के नाम पर इस महल के अधिग्रहण की मांग का आंदोलन चलाया था। तथा पृथ्वीराज चौहान के संग्रहालय तथा विदेश से अस्थि लाने की मांग भी की थी । समय के साथ अंतिम हिंदू सम्राट का यह किला नहीं तो अधिग्रहण किया गया और ना ही इसका पैरोंनेमा बना ।
विगत गहलोत सरकार के दौरान पूर्व विधायक बलजीत यादव ने भी विधानसभा में नियम 131 के तहत ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस मामले को उठाया, तथा बेचने में हुए भ्रष्टाचार की जांच की भी मांग की थी। इस पर जिला कलेक्टर के निर्देश पर नीमराना एसडीएम ने नीमराना तहसीलदार रमेश जोशी, भू अभिलेख निरीक्षक आदर्श राव, रामनिवास गोठवाल ,कृष्ण कुमार यादव तथा सात पटवारीयों जिनमें पटवारी दिलबाग सिंह, पवन कुमार शर्मा ,पवन यादव, कमल यादव ,विकास यादव, हाकिम यादव व घनश्याम सिंह ने उक्त जमीन की पैमाइश की थी तथा भिवाड़ी विकास प्राधिकरण महकमा जंगलात व गैर मुमकिन पहाड़ की भूमि पर अतिक्रमण की पुष्टि भी हुई थी। अपनी रिपोर्ट के बारे में तत्कालीन तहसीलदार रमेश कुमार जोशी ने बताया कि वर्तमान में नीमराना फोर्ट पैलेस जो की गैर मुमकिन पहाड़ के रूप में महकमा जंगलात के नाम पर दर्ज था, उसे भू प्रबंधन विभाग ने गलत तरीके से संवत 2042 में फोर्ट पैलेस के नाम से कर दिया, यह रिपोर्ट तत्कालीन एसडीएम नीमराना योगेश सिंह देवल के द्वारा जिला कलेक्टर अलवर को भेज दी गई थी। जिला कलेक्टर के माध्यम से यह विधानसभा सचिवालय को भी भेज दी गई। लेकिन, वन मंत्री और वन सचिव ने उपरोक्त प्रकरण में कठोर कार्यवाही अमल में नहीं लाई। जबकि ,इस संबंध में कार्यवाही के आदेश दिए गए थे कि उपरोक्त भूमि की किस्म बदलकर वापस गैर मुमकिन पहाड़ व जंगलात की जाए। लेकिन ,आज दिनांक तक होटल प्रबंधन के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। राठ मंच के अध्यक्ष मनोज मुद्गल एडवोकेट ने इस संदर्भ में अविलंब कार्यवाही की मांग करते हुए खसरा नंबर 505 /593 रकबा 4.75 हेक्टेयर को गैर मुमकिन पहाड़ जंगलात में दर्ज किया जा कर अधिग्रहण की मांग की है। मनोज मुद्गल एडवोकेट बताया कि जांच के नाम पर बार-बार लीपापोती होती रही है कुछ अधिकारी जांच के नाम पर नीमराना फोर्ट पर आते हैं और जांच कर जाने के बाद चुप्पी साध लेते हैं उन्होंने इसे अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के अस्तित्व को खत्म करने की साजिश करार दिया उन्होंने तत्काल इसका अधिग्रहण कर इसमें असवारी माता की पूजा अर्चना चालू करवा कर श्रध्दालुओं की भावनाओं का सम्मान करने की मांग की।