(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
देवरिया।स्मार्ट हलचल|साल के आखिरी दिन जब हर तरफ नए साल की उम्मीदें सज रही थीं, उसी दिन देवरिया जिले के रुद्रपुर थाना क्षेत्र के भृगुसरी गांव में एक युवती का सपना सरेआम टूटता नजर आया।युवती अपने प्रेमी के घर के बाहर धरने पर बैठ गई और शादी व न्याय की गुहार लगाने लगी। गांव में देखते ही देखते भीड़ जुट गई और माहौल भावुक हो उठा। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने का प्रयास किया। युवती का दर्द उसके शब्दों से ज्यादा उसकी आंखों से बह रहा था।
इस संबंध में धरने पर बैठी युवती ने मीडिया को बताया कि भृगुसरी निवासी संगम निषाद से उसका करीब एक साल से प्रेम संबंध था। दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं और भविष्य के सपने संजोए। युवती का आरोप है कि संगम ने एक शिव मंदिर में उससे शादी की थी और उस रिश्ते को उसने पूरे विश्वास के साथ स्वीकार किया। शादी के बाद दोनों करीब एक महीने तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे। नए साल की दहलीज पर दोनों ने साथ-साथ नई जिंदगी शुरू करने का सपना भी देखा था।
लेकिन जैसे ही इस रिश्ते की भनक संगम के परिजनों को लगी, कहानी ने करवट बदल ली। शुरुआत में परिजनों ने सामाजिक रीति-रिवाज से शादी कराने का भरोसा दिलाया। युवती को लगा कि अब उसका सपना पूरा होने वाला है। मगर कुछ ही समय बाद प्यार की जगह पैसों की मांग ने ले ली। युवती के मुताबिक चार लाख रुपये नकद और एक चार पहिया वाहन की मांग दहेज के रूप में रखी गई।युवती ने जब दहेज देने में असमर्थता जताई तो वही रिश्ता बोझ समझ लिया गया।
आरोप है कि संगम और उसके परिजनों ने शादी से साफ इनकार कर दिया और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई। साल के आखिरी दिन युवती उसी दरवाजे पर धरने पर बैठी थी, जहां कभी उसे अपने सपनों का घर नजर आता था।
पीड़िता ने एक स्थानीय विधायक पर भी गंभीर आरोप लगाए और कहा कि राजनीतिक प्रभाव के चलते पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर रही। मामले में युवती की तहरीर पर गौरी बाजार थाना पुलिस ने संगम निषाद सहित चार लोगों के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। धरने के दौरान युवती ने चेतावनी दी कि अगर उसे न्याय नहीं मिला तो वह आत्महत्या करने को मजबूर होगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रेमी के परिवार और संबंधित विधायक की होगी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच जारी है और स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन भृगुसरी गांव की हवा में अब भी साल के आखिरी दिन टूटे आशिक-महबूबा के सपनों की टीस साफ महसूस की जा सकती है।


