समर्थ कुमार सक्सेना
लखनऊ।स्मार्ट हलचल|उत्तर प्रदेश में 30 जुलाई 2020 के मोटर अधिनियम में हुए बदलाव के बाद 7500 GVW तक के फिक्कप डाला व हल्के भार वाहनों पर अत्यधिक जुर्माना वसूला जा रहा है, जबकि ये वाहन जनपयोगी सामान जैसे दूध, फल, सब्ज़ी व राशन को छोटे जनपदों व ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाते हैं।पिकअप डाला वाहनों को बड़ी गाड़ियों (DCM) की तरह परमिट व पासिंग सुविधा नहीं दी जा रही है। पासिंग 2950 GVW से 4950 GVW किए जाने की मांग की गई है, ताकि ओवरलोड के नाम पर ₹30,000 से ₹40,000 तक का चालान कर वाहनों को बंद न किया जाए।
साथ ही फिटनेस शुल्क में भारी वृद्धि से वाहन मालिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ा है। पहले फिटनेस शुल्क ₹1500–2000 था, जो निजीकरण व टेंडर प्रक्रिया के बाद ₹8000–10000 तक हो गया है, जिसका सीधा असर जनसामान की कीमतों पर पड़ रहा है।
पिकअप डाला व हल्के भार वाहन चालकों ने सरकार से इन समस्याओं का शीघ्र समाधान कर राहत देने की मांग की है, ताकि वे अपनी आजीविका चलाते हुए जनता तक आवश्यक वस्तुएं पहुंचा सकें।


