लाडपुरा: सरकारी ‘विकासरथ’ की निकली हवा! संगठन की बेरुखी और सूचना के अभाव में महज ‘खानापूर्ति’ बनकर रह गया सुशासन का जश्न
🗓️ 21 दिसंबर, 2025
लाडपुरा। राजस्थान की भजनलाल सरकार के दो साल के सुशासन और जनकल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए जिले भर में ‘विकासरथ’ रवाना किए गए हैं। सरकार का प्रयास है कि गांव-गांव और ढाणी-ढाणी जाकर दो वर्षों की उपलब्धियों का विवरण जनता के सामने रखा जाए। लेकिन लाडपुरा क्षेत्र में यह अभियान सांगठनिक विफलता और भारी कुप्रबंधन का शिकार होता नजर आ रहा है। यहाँ विकासरथ का कार्यक्रम महज एक सरकारी खानापूर्ति में सिमट कर रह गया है, जहाँ न तो जनता की रुचि दिख रही है और न ही भाजपा संगठन के बड़े पदाधिकारियों की मौजूदगी।
सरपंच का खुलासा: “हमें कार्यक्रम की सूचना ही नहीं दी गई”
रविवार को मांडलगढ़ पंचायत समिति की लाडपुरा और श्यामगढ़ ग्राम पंचायत में सरकार का विकासरथ पहुँचा। लेकिन यहाँ का नजारा हैरान करने वाला था क्योंकि स्थानीय जनप्रतिनिधि ही कार्यक्रम से नदारद थे। इस संबंध में जब लाडपुरा सरपंच प्रकाश कंवर से बात की गई, तो उन्होंने प्रशासन और संगठन की पोल खोल दी। सरपंच ने बताया कि विकासरथ के इस कार्यक्रम की उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई थी, जिसके कारण वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं। अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी सूचना के अभाव को ही अपनी अनुपस्थिति का कारण बताया है।
🚩 संगठन में बिखराव: अकेले पड़े ग्रामीण कार्यकर्ता
हैरानी की बात यह रही कि प्रदेश सरकार के इतने बड़े अभियान के दौरान भाजपा संगठन का एक भी बड़ा पदाधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। ग्रामीण क्षेत्रों के भाजपा कार्यकर्ता दबी जुबान में स्वीकार कर रहे हैं कि आपसी तालमेल की भारी कमी है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उच्च पदाधिकारियों ने डोर-टू-डोर सूचना देने की जहमत तक नहीं उठाई, जिससे गांव में रथ पहुँचने पर गिने-चुने लोग ही नजर आए। एकता के अभाव के कारण भाजपा सरकार के इस महत्वपूर्ण अभियान की साख दांव पर लगी है।
महज चंद चेहरों के बीच सिमटा कार्यक्रम
रविवार को जब यह विकासरथ लाडपुरा और श्यामगढ़ पहुँचा, तो यहाँ केवल भाजपा कार्यकर्ता मोहन सिंह शक्तावत, यशोधर वैष्णव और कुछ अन्य ग्रामीण ही उपस्थित थे। सरकार के सफलतम दो वर्ष के कार्यकाल की योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए प्रशासन की ओर से रथ तो भेजा गया, लेकिन बिना भीड़ और बिना नेताओं के यह कार्यक्रम पूरी तरह नीरस नजर आया। अन्य ग्राम पंचायतों में भी स्थिति कुछ ऐसी ही देखी जा रही है, जहाँ विकासरथ के दौरान कुर्सियां खाली नजर आ रही हैं।
“सरकार चौमुखी विकास के दावे कर रही है, लेकिन जब संगठन के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि ही इसमें रुचि नहीं दिखा रहे, तो आम जनता तक योजनाओं का लाभ कैसे पहुँचेगा? यह पूरी तरह से सांगठनिक और प्रशासनिक विफलता है।”


