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भक्ति एवं सद्कर्म ही जीवन का सार है -आचार्य शक्ति देव महाराज,Devotion and good deeds are life


भक्ति एवं सद्कर्म ही जीवन का सार है -आचार्य शक्ति देव महाराज

Devotion and good deeds are the essence of life

सप्त दिवसीय भागवत कथा का आयोजन

भीलवाड़ा 19 जुलाई
स्मार्ट हलचल/भागवत कथा में आचार्य शक्तिदेव महाराज ने बड़ी सुंदर-सुंदर कथाएं श्रवण कराई उन्होंने बताया कि भक्ति एवं सद् कर्म ही जीवन का मूल सार है जिसमें महाभारत का प्रसंग श्रवण कराया, कथा में महाराज ने बताया कि जीवन का नियम है कभी हंसने का मौका आता है तो कभी रोने का मौका भी आता है सुख आता है तो दुख भी आता है जीवन में कभी रोने का मौका आए तो ससारियों के सामने मत रोना संसारी मजाक बनाते हैं यदि रोना भी हो तो ठाकुर जी के सामने रोना और जब आप सच्चे हृदय से ठाकुर जी के सामने रोना प्रारंभ करेंगे ठाकुर जी को अपना मान लेंगे तो यह तुम्हें जीवन में कभी रोने नहीं देंगे आत्मा का वास्तविक साथी केवल और केवल परमात्मा है इसलिए ठाकुर से प्रेम करें भक्ति और सत्कर्म ही जीवन का सार है
यह बात श्री पुराना शहर माहेश्वरी सभा भीलवाड़ा के तत्वाधान आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन पुराना भीलवाड़ा स्थित बड़े मंदिर की बगीची में कहीं,

मीडिया प्रभारी महावीर समदानी ने जानकारी देते हुए बताया कि कथा में महाराज ने विशेष प्रसंग के तहत बताया कि हमारे सभी ग्रंथों में पांच ग्रंथ प्रमुख हैं जिनकी हमारे मध्य सबसे ज्यादा चर्चा होती है
श्रीमद् भागवत महापुराण ,महाभारत, राम कथा, गीता एवं शिवपुराण यह पांचो ग्रंथ मानव जीवन में बड़ा विशेष प्रभाव रखते है
भागवत महापुराण मृत्यु प्रधान ग्रंथ है यह मृत्यु को मंगलमय बनाती है जिसके साक्षी स्वयं राजा परीक्षित रहे हैं,महाभारत संसार प्रधान ग्रंथ है संसार में कैसे रहे,रामकथा जीवन प्रधान ग्रंथ है ,गीता कर्म प्रधान ग्रंथ है यह कर्मयोगी बनाती है और शिव पुराण परिवार प्रधान ग्रंथ है परिवार को कैसे संभाला जाए यह हमें शिव पुराण सिखाता है
भगवान शंकर के परिवार में एक दूसरे के विरोधी हैं बैल और शेर एक दूसरे की विरोधी है सर्प ,मोर विरोधी हैं चूहा ,सर्प विरोधी है
लेकिन सब बडे प्रेम से रहते है
विपरीत स्थिति में भी परिवार में किस प्रकार प्रेम भाव बनाए रखना है किस प्रकार परिवार को जोड़कर रखना हैं यह भगवान शंकर सिखाते हैं
आज के समय में परिवार बहुत टूट रहे हैं परिवार तोड़ना परिवार से अलग होना कोई बड़ी बात नहीं है परिवार को साधकर चलना एक बहुत बड़ी साधना है बहुत बड़ी तपस्या है
और जिसने अपने परिवार को साध लिया उसका पूरा जीवन मंगलमय हो जाता है,कथा के प्रारंभ में अतिथियों ने भागवत ग्रंथ की आरती की
छीतरमल डाड, रामस्वरूप तोषनीवाल,प्रहलाद अजमेरा, गोपाल सोडानी,चांदमल मन्डोवरा, रतनलाल पटवारी प्रहलाद भदादा, सुरेश बिरला श्यामलाल डाड, कमलेश लाठी संपत माहेश्वरी,कै सी गदीया, राजेंद्र समदानी, श्रवण समदानी प्रहलाद नुवाल, विद्यासागर दरक रामनारायण सोमानी मनमोहन राठी सहित सैकड़ोंजन उपस्थित थे,कथा के प्रारंभ में अतिथियों ने भागवत ग्रंथ की आरती की
तृतीय दिवस शनिवार को भागवत कथा में सृष्टि की उत्पत्ति ध्रुव चरित्र ,सती चरित्र एवं शिव पार्वती विवाह का आयोजन होगा

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