दिलखुश मोटीस
सावर (अजमेर)स्मार्ट हलचल|संतान प्राप्ति की अद्भुत आस्था का केंद्र लालधागे सरकार भेरुधाम, मेहरुखुर्द (सावर) बुधवार को अध्यात्म, आस्था और अलौकिक ऊर्जा का विराट केंद्र बन गया। तृतीय पाटोत्सव और दादा गुरुदेव की 15वीं पुण्यतिथि के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं और सैकड़ों संतों की उपस्थिति में यहां ऐसा भक्ति उत्सव रचा गया, मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।
वैदिक मंत्रों की गूंज और पुष्पवर्षा से सजा दरबार
धार्मिक आयोजनों का शुभारंभ नरसिंह जी के नेतृत्व में महंत हरिदास महाराज (मेहरूकला) की अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। भैरूनाथ भगवान और दादा गुरुदेव की प्रतिमाओं का जलधारा से अभिषेक कर गुलाबों से श्रृंगारित किया गया। जैसे ही पांडाल में पुष्पवर्षा हुई, सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय सुगंध से सराबोर हो गया।
भजनों की रसधारा में झूमा भेरुधाम
देशभर से पधारे संतों और भजन कलाकारों की प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को आत्मिक आनंद से भर दिया। “हर हर महादेव” और “गुरुदेव महाराज की जय” के जयघोषों से गूंज उठा समूचा धाम।
संतों की गरिमामयी उपस्थिति से दमक उठा मंच
राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, गुजरात आदि राज्यों से पधारे जगद्गुरुओं, महंतों और संतश्री का शॉल, दुपट्टा और माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया गया। मंच पर आसीन संतों में प्रमुख रहे:
लादूराम महाराज, सुन्दरदास महाराज (जहाजपुर), रामसहाय महाराज (जयपुर), भंवर निरंजनी महाराज (फुलेरा), रामदास महाराज (बस्सी), शत्रुघ्न दास महाराज (कालाबड़), गंगादास महाराज (कादेड़ा), शंकरदास महाराज (धानेश्वरधाम), रामविलास दास महाराज (सव्वेरी), रघुवीर दास महाराज (मेवदाकला), चंद्रमा दास महाराज (जूनिया), गोविंद दास महाराज (कोटा), प्रेमदास व गोपालदास महाराज (जयपुर), राममनोहर दास महाराज (वृन्दावन), गोपाल दास महाराज (अयोध्या) सहित अनेक संतों ने धर्मलाभ लिया।
सप्ताह में चार दिन लगता है श्रद्धा का मेला
महंत हरिदास महाराज ने बताया कि भेरुधाम अब केवल एक स्थान नहीं, बल्कि आस्था का धाम बन चुका है। सोमवार, बुधवार, शुक्रवार और रविवार को यहां संतान की कामना लेकर हजारों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर परिसर में हर सप्ताह एक अलौकिक मेला लगता है।
विशाल भंडारा, पुण्य का प्रसाद
धार्मिक अनुष्ठान के पश्चात संतों को सम्मानपूर्वक विदाई दी गई। तत्पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्यलाभ अर्जित किया।
भक्ति का यह संगम वर्षों तक रहेगा अमिट स्मृति
लालधागे सरकार के इस पावन आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब आस्था, सेवा और संतों का संगम होता है, तो वहां भक्ति की नदियां बहती हैं, और श्रद्धालु दिव्यता में डूब जाते हैं।