श्रद्धा और भक्ति के साथ विश्वास रूपी साधना से लोक परलोक दोनों सुधर जाते है-स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज
काछोला 13 दिसम्बर-स्मार्ट हलचल| क्षेत्र के धामनिया में श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण रहा। कथा वाचक शकरगढ़ निरंजनी आश्रम के स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज ने विभिन्न पौराणिक प्रसंगों का वर्णन किया।
उन्होंने भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के महत्व को समझाया। स्वामी जी ने श्रीमद्भागवत के प्राकट्य, राजा परीक्षित के जन्म और धर्मराज युधिष्ठिर के राज्याभिषेक का वर्णन किया। साथ ही पितामह भीष्म के निर्वाण की कथा भी सुनाई।
राजा परीक्षित के आखेट और शमीक ऋषि के श्राप की कथा का भी विस्तार से वर्णन किया गया। स्वामी जी ने कलियुग में भक्ति की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भक्ति तो चरम सीमा पर है, लेकिन भगवत प्राप्ति नहीं हो पा रही है। इसका मुख्य कारण लोगों में ज्ञान और वैराग्य की कमी है।
स्वामी जी ने बताया कि जब श्रद्धा और भक्ति के साथ ज्ञान और वैराग्य का समन्वय होता है, तब विश्वास रूपी साधना से लोक-परलोक दोनों सुधर जाते हैं। उनके अनुसार, भगवत कृपा से जीव को आवागमन से मुक्ति मिलकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वही कार्यक्रम के दौरान कस्बे वासियों ने निरंजनी आश्रम के स्वामी जगदीश पुरी महाराज को श्रीफल भेंटकर उनका स्वागत अभिनंदन किया।


