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धर्मध्वजा स्थापना के साथ हरि शेवा उदासीन आश्रम में वर्सी उत्सव का उल्लासपूर्ण आयोजन

भीलवाड़ा । भीलवाड़ा के हरि शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में चल रहे चार दिवसीय वार्षिक वर्सी उत्सव के द्वितीय दिन शुक्रवार को श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का वातावरण देखने को मिला। आश्रम परिसर में आयोजित धर्मध्वजा स्थापना समारोह में संत-महात्माओं, अनुयायियों व गणमान्य जनों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार व संप्रदाय की परंपरानुसार विधिवत झण्डा साहब की स्थापना की गई। उत्सव के तृतीय दिन 28 जून (शनिवार) को नित्य हवन यज्ञ, मंडल पूजन, अन्न क्षेत्र सेवा, सत्संग व प्रवचन प्रातःकाल व सांयकाल में आयोजित होंगे।

धर्मध्वजा स्थापना का यह पावन अवसर शाम के समय संपन्न हुआ, जिसमें वैदिक मंत्रों की गूंज और भजन-कीर्तन की मधुर धुनों ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रद्धालु धर्मध्वजा की स्थापना के समय भक्ति में लीन होकर झूम उठे। आश्रम में उदासीन निर्वाण मण्डल के संतों के दर्शन का भी लाभ भक्तों को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने धर्मध्वजा के आध्यात्मिक व राष्ट्रीय महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि धर्मध्वजा में विराजित श्री हनुमानजी का चित्र हमें यह संदेश देता है कि हमें देश और धर्म की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध होकर बुराई और अधर्म के विरुद्ध एकजुट होना चाहिए। यह ध्वजा ऊर्जावान प्रतीक है, जिसकी ऊंचाई व लहराने से नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है और सकारात्मकता का संचार होता है।
स्वामीजी ने आगे भजन हरी शेवा धाम जो झंडो झूले, सनातन हिंदू धर्म जो झंडो झूले, करे जेको दर्शन हरिय जी दया सा किस्मत खुले के माध्यम से धर्मध्वजा की महिमा का बखान किया।
इसी दिन प्रभु जगन्नाथ की यात्रा भी हरि शेवा आश्रम पहुंची। वहां प्रभु का स्वागत कर उन्हें विधिपूर्वक विराजमान किया गया। उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद व जलपान की सेवा भी कराई गई। जानकारी अनुसार भगवान हरी शयनी एकादशी पर पुनः निजधाम पधारेंगे।
प्रातःकालीन सत्र में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के सान्निध्य में संत मायाराम, संत गोविंदराम, ब्रह्मचारी संत इंद्रदेव, सिद्धार्थ, कुणाल, मिहिर सहित ट्रस्टीगण व अनेक अनुयायियों ने गुरुभक्ति के साथ ध्यान और स्तुति की। नित्यनेम व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इसी दिन श्री रामायण के अखंड पाठ के समापन पर भोग लगाया गया तथा जगतगुरु उदासीनाचार्य की वाणी ग्रंथ श्री श्रीचंद्र सिद्धांत सागर के अखंड पाठ की शुरुआत भी की गई।
इस महाउत्सव में विभिन्न स्थानों से पधारे संत-महात्माओं ने संगत को दर्शन देकर आध्यात्मिक लाभ प्रदान किया। जिनमें महंत रामदास जी रामायणी, महंत बलरामदास जी, संत परमेश्वरदास त्यागी, श्रीमहंत स्वरूपदास उदासीन (अजमेर), श्रीमहंत हनुमानराम उदासीन (पुष्कर), लक्खी साईं (भोपाल), स्वामी अमरलाल (राजकोट), स्वामी अर्जुनदास (अजमेर), स्वामी मोहनदास चंदन (इंदौर) प्रमुख रूप से सम्मिलित रहे।

सांयकालीन सत्र में नितनेम, हनुमान चालीसा, श्रीमात्रा साहब पाठ, सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तमंडलियों ने भक्ति भाव से भरे भजन प्रस्तुत किए और भक्तों को भावविभोर किया।
इस भव्य आयोजन में भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल, विधायक अशोक कोठारी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चित्तौड़ प्रांत सेवा प्रमुख रविंद्र कुमार जाजू, सनातन सेवा समिति के अशोक मूंदड़ा, विनोद झुरानी, भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय महामंत्री महेन्द्र तीर्थानी, वीरूमल पुरुसानी, यूआईटी अजमेर के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र शाहनी भगत, किशोर लखवानी, हरी शेवा संस्थान के सचिव हेमंत वच्छानी, चंद्र जेठानंद लालचंदानी, हीरालाल गुरनानी, अंबालाल नानकानी, पुरुषोत्तम परियाणी, गोपाल नानकानी, कन्हैयालाल मोरयानी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, श्रद्धालु व भक्तगण उपस्थित रहे।
भीलवाड़ा में हरि शेवा उदासीन आश्रम का यह वार्षिक वर्सी उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बन गया है, बल्कि यह अध्यात्म, संस्कृति व सेवा के संगम के रूप में क्षेत्र में विशेष पहचान बना रहा है। धर्मध्वजा स्थापना के साथ उत्सव का यह चरण भाव-विभोर कर देने वाला रहा, जिसमें सभी ने गुरुकृपा व धर्म की महत्ता को आत्मसात किया।

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