धरती केलवा तीर्थ बन गई : साध्वी कीर्तिलता
तेरापंथ स्थापना दिवस एवं मंत्र दीक्षा ।
भीलवाड़ा 21 जुलाई : स्मार्ट हलचल/तेरापंथ धर्मसंघ का 265 वां जन्म दिवस “तेरापंथ स्थापना दिवस” के रूप में आनंद एवं उल्लास के वातावरण में तेरापंथ भवन में मनाया गया। केंद्र के निर्देशा नुसार ज्ञानशाला बच्चों, प्रशिक्षिकाओ सहित श्रावक समाज का जुलूस शहर के मुख्य मार्गो से होता हुआ नागोरी गार्डन स्थित तेरापंथ भवन पहुंचा जहा साध्वी श्री कीर्तिलता जी के सानिध्य में कन्या मंडल द्वारा भिक्षु अष्टम के संगान से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ जिसमे, संघ के तेरह जोड़ों ने “धरती केलवा तीरथ बन गई” सुमधुर गीतिका के साथ अपने उत्साह को प्रदर्शित करते हुए अपने संघ का जन्मदिन मनाया ।
साध्वी श्री कीर्ति लता जी ने अपने ओजस्वी प्रवचन में कहा आषाढ़ी पूर्णिमा को स्वामी जी ने ऐसा महल बनाया, जिस महल की नींव में है विनय, दरवाजे में हैअनुशासन, खिड़की में है सहिष्णुता, छत में सौहार्द व महल का आंगन है समर्पण का , ऐसे महल में रहने के लिए में सबको आमंत्रित करती हूं । साध्वी शांतिलता, साध्वी पूनमप्रभा व साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने गुरु रघुनाथ जी व भीखण का “गुरु शिष्य” संवाद गद्य पद्ध्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया ।
इस अवसर पर अभातेयुप के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद द्वारा मंत्र दीक्षा कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
मंत्र दीक्षा कार्यक्रम की शुरुवात ज्ञानशाला के नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा एक्शन सॉन्ग एवं लघु नाटिका की बहुत ही रोचक प्रस्तुति से हुआ ।
तत्पश्चात साध्वीश्री जी ने बच्चों को मंत्र दीक्षा के बारे मैं विस्तार से बताया एवं नमस्कार महामंत्र की विशेष प्रेरणा दी । साथ ही अभिभावकों को कहा की बच्चों को ज्ञानशाला में भेजें जिससे बच्चों मैं संस्कारों का निर्माण हो । साध्वी श्री जी ने कार्यक्रम में उपस्थित सौ से भी अधिक बच्चों को मंत्र दीक्षा दिलाई जिसमे से बाइस बच्चों ने मंत्र दीक्षा ग्रहण कि।
कार्यक्रम मैं सभा अध्यक्ष जसराज चोरडिया, तेयूप अध्यक्ष पीयूष रांका, उपाध्यक्ष दिलीप मेहता, सहमंत्री लक्ष्मी लाल झाबक एवं ज्ञानशाला प्रशिक्षिका सीमा बड़ोला ने अपने विचार व्यक्त किया ।
मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में महासभा उपाध्यक्ष निर्मल गोखरू, मेवाड़ कोंफ्रेस महामंत्री बलवंत रांका, अभातेयुप के राष्ट्रीय सलाहकार गौतम दुगड़, समिति सदस्य कुलदीप मारू की विशेष उपस्थिति रही ।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रावक समाज उपस्थित था ।