भीलवाड़ा । राजेश जीनगर
शहर में धौंसपट्टी जमाने के लिए वाहन चालकों द्वारा अपने वाहनों पर “पुलिस” और “प्रेस” के चिन्हों का दुरूपयोग अब आम हो चला हो। यहां हर कोई अपने दुपहिया चौपहिया वाहनों पर ऐसे चिन्हों का दुरूपयोग करते नजर आ जाएगा। जिससे उसका कोई लेना-देना नहीं है। कुछ ऐसा ही मामला आज शहर के एक पेट्रोल पंप पर देखने को मिला। जहां एक सरकारी संस्था में वाहनों की पार्किंग का काम देखने वाले युवक ने अपनी बाईक पर “प्रेस” लिखवा रखा था। जिस पर पेट्रोलपंप कर्मी ने उत्सुकतावश पुछ लिया की भैय्या ये गाड़ी पर “प्रेस” क्यों लिखवा रखा है। किसी अखबार में नौकरी करते हो क्या, इस पर वाहन चालक बोला की कपड़ों पर इस्त्री करने का काम है, इसलिए लिखवा रखा है। यह तो उदाहरण मात्र है, जहां “प्रेस” लिखे वाहनों का मतलब बताकर एक पेट्रोल पंप कर्मी के सामने मिडिया का युं मखौल उड़ाया गया। वहीं शहर की सड़कों पर सरपट दौड़ रहे ऐसे सैंकड़ों वाहन है, जिनका ना तो पुलिस से लेना-देना है और ना प्रेस से, फिर भी वह धौंसपट्टी जमाने के लिए इन चिन्हों का जमकर दुरूपयोग कर रहे हैं और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। शादी ब्याह की पत्रिका छापने वाले, इस्त्री करने वाले और अखबार से जुड़े पत्रकारों में इन जैसे लोगों ने कोई फर्क नहीं छोड़ा की, ये चिन्ह किनके लागु है और किनके नहीं। हर वर्ष मनाए जाने वाले सड़क सुरक्षा सप्ताह को लेकर धरपकड़ अभियान के दौरान भी ऐसे वाहनों पर ठोस कार्यवाही नहीं की जाती, जिस पर फर्जी तरीके से “पुलिस और प्रेस” के लोगो का दुरूपयोग किया जा रहा हो। उन दिनों यातायात पुलिस और परिवहन विभाग अपना समय सिर्फ रैलियों में, बच्चों की प्रतियोगिताओं में, समझाइश में और लापरवाह वाहन चालकों के चालान बनाने में निकाल देती है। लेकिन ट्रेफिक पुलिस अपने और प्रेस के लोगो का दुरूपयोग करने वाले ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं कर पाती। आखिर ऐसा क्यों ये विचारणीय है ??