कोटा।स्मार्ट हलचल|दिगम्बर जैन मंदिर विज्ञान नगर में रविवार को आयोजित भव्य पारणा महोत्सव श्रद्धा,उत्साह और गरिमा के वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर 10 उपवास करने वाले 21 साधकों ने सामूहिक रूप से भाग लिया। साथ ही रत्नत्रय और अनंत तीन उपवासियों का भी पारणा कराया गया।
महोत्सव का विशेष आकर्षण रहा कि आर्यिका संघ की 12 माताजियों ने उपवास रखा, वहीं आरिका संयम श्री माताजी और साम्या श्री माताजी ने पूरे 10 दिनों का कठिन उपवास कर तप का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में गौरवाध्यक्ष राजमल पाटोदी, चार्तुमार्स समिति अध्यक्ष विनोद टौरड़ी, कार्याध्यक्ष मनोज जैसवाल और महामंत्री अनिल ठौरा ने उपवासियों का पारणा करवाया। मुख्य संयोजक रितेश सेठी ने बताया कि पारणा उकाली, मूंग की दाल का पानी और हलवे से कराया गया। संचालन पी.के. हरसोरा ने किया। सुबह शांतिधारा, अभिषेक और सहस्रनाम धारा का भी आयोजन हुआ।
इस अवसर पर पूज्य गणिनी आर्यिका श्री 105 विभा श्री माताजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि जीवन में स्थायी आनंद तभी संभव है जब विचारों में सहअस्तित्व, आचरण में सरलता और व्यवहार में सहजता हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि भौतिक साधनों से मिलने वाला सुख क्षणभंगुर है, जैसे घड़े में डाला गया पानी शीघ्र समाप्त हो जाता है, जबकि संयम और नियम से प्राप्त आनंद स्थायी होता है।
माताजी ने कहा कि सहृदयता और सरलता ही स्थायी सुख और आत्मिक शांति का आधार हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया—“जल्दी मिलने वाली वस्तुएं लंबे समय तक टिकती नहीं, जबकि जो वस्तुएं स्थायी होती हैं, उन्हें पाने में समय लगता है।”