HomeHealth & Fitnessरोग और उनसे बचने के उपाय,Diseases and ways to avoid them

रोग और उनसे बचने के उपाय,Diseases and ways to avoid them

रोग और उनसे बचने के उपाय
जेपी मिश्रा
स्मार्ट हलचल/आधुनिक युग में वातावरण इतना ज्यादा दूषित बना हुआ है कि हर घर में कोई न कोई रोगी जरूर मिल रहा है। एक व्यक्ति में एक ही रोग नहीं बल्कि बहुत सारे रोगों से ग्रसित है। कब्ज, गैस, जुकाम, बुखार, सिरदर्द तो आम बात है। साथ ही दमा, मधुमेह, बवासीर क्षय, रक्तचाप आदि रोग सर्वत्र देखने को मिलते हैं। रोगी रहना ही हमारी आदत बन चुकी है। आज कल थोड़ी सी भी बीमारी हुई तो उसका कारण मौसम की खराबी तथा जीवाणु यानी बैक्टिरिया वायरस एवं एलर्जी का माना जाता है। जबकि रोगों का असली कारण तो कुछ और होता है। अधिकांश व्यक्ति इसको समझने व मानने को तैयार नहीं होते हैं
क्योंकि आज का प्रत्येक व्यक्ति व चिकित्सक दवाइयों में अपना स्वास्थ्य ढूंढते हैं। परंतु खान-पान की त्रुटियां एवं योगाभ्यास करने की तरफ ध्यान नहीं देते हैं। भोगवादी मनोवृत्ति से प्रभावित व्यक्ति ने प्रकृति के प्रतिकूल रहना सीख लिया है। उसका रहन-सहन, खान-पान सब कुछ तो बदल गया है।
उसने सूती, ऊनी कपड़ों के स्थान पर सिन्थेटिक कपड़े पहनने शुरू कर दिए हैं। संतुलित व सादे भोजन का स्थान डिब्बा बंद व फास्ट फूड खाद्य पदार्थ, कैचप सॉस आदि ने ले ली है। शुद्ध पानी व घड़े के पानी की जगह पेप्सी कोला, फ्रिज का पानी व सिंथेटिक कोल्ड पेय अब प्यास बुझाने में लगे हंै।

भोजन में पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक तत्वों की कमी व उचित व्यायाम की कमी तथा वातावरण प्रदूषण के कारण ही रोग होते हैं। यानी सब रोगों का मूल कारण शरीर में विकार यानी विजातीय द्रव्य यानी टॉक्सिन एकत्र होना होता है। यदि व्यक्ति प्राकृतिक उपचार आहार, विहार, योगाभ्यास समझे व उसका पालन करे तो रोगों एवं औषधियों से मुक्ति मिलेगी, साथ ही स्थाई स्वास्थ्य व दीर्घायु का सुख भोगना संभव होगा। साथ ही निम्र नियमों को अपनाने से जो कि काफी सरल व व्यवहारिक है निश्चित रूप से आप को स्वस्थ्य होने में सहायता करेंगे। जो निम्र हैं-
रोज प्राय: सूर्योदय से पूर्व उठकर 2-3 गिलास पानी पीने के बाद शौच जायें। यदि पानी तांबे के बर्तन में रात्रि में रखा गया हो तो स्वास्थ्य के लिए विशेष लाभदायक रहेगा।
प्रात- सायं योगासन व प्राणायाम करें अथवा भ्रमण व अन्य व्यायाम करें।
स्नान से पहले या बाद में प्रात: कालीन सूर्य की किरणें नंगे बदन अथवा कम कपड़े, पहनकर शरीर पर पडऩे दें।
स्नान से कुछ मिनट पहले खादी के कपड़े से पूरे शरीर की सूखी मालिश यानी घर्षण करके ताजे जल से स्नान करना और स्नान के मध्य गीले कपड़े से शरीर को रगड़-रगड़ कर स्नान करने से त्वचा निर्मल व स्वास्थ्य रहती है।
* प्रात: नाश्ता न करें यदि नाश्ता करना भी हो तो ब्रेड, पराठा आदि भारी पदार्थ को करने के बजाए, अंकुरित अन्न, मुन्नका, किशमिश, अंजीर, खजूर, मौसमी फल या जूस, शहद, पानी इत्यादि में से कोई एक-दो अपनी पसंद व सामथ्र्य के अनुरूप लें-
* भोजन में सलाद जैसे खीरा, ककड़ी, टमाटर, प्याज, अदरक, मूली, शलजम, चुकंदर, गाजर, बंद गोभी, आदि का प्रयोग मौसम अनुसार अवश्य करें।
* भोजन अच्छी प्रकार से चबा-चबा कर करें और भूख से कम भोजन करें। मौन व प्रसन्नचित होकर भोजन करें।
* चिंता तनाव, भय, क्रोध की स्थिति व बिना भूख के भोजन कदापि न करें, क्योंकि ऐसी अवस्था में एन्जाइम एण्ड हार्मोंस विकृत हो जाते हैं।
* भोजन से एक घंटे पूर्व और एक घंटे बाद तक पानी न पीयें।
* प्रात: काल का नाश्ता 7-8 बजे तक व भोजन 9-10 बजे तक तथा रात्रि का भोजन 6-8 बजे तक यानी सोने से 2-3 घंटे पूर्व कर लेना चाहिए। दोनों समय भोजन के मध्य अपनी आवश्यकतानुसार फल, जूस, शहद, पानी आदि लेना श्रेष्ठकर रहता है।
* सोने से पूर्व मंजन, टूथपेस्ट आदि कर दांत, जीभ व भूख साफ कर लेना चाहिए।
* साथ ही सोने से पूर्व हाथ-पैर भी धो लेना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से नींद अच्छी आती है।
* रात्रि में 9-10 बजे तक सो जाना और प्रात: 4-5 बजे तक अवश्य बिस्तर छोड़ देना चाहिए।

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