तीन जिलों, मध्यप्रदेश को आपस मे जोडता है पुल, दोनो तरफ के लोगो को टुकडो मे करनी पडती है यात्रा
लाखेरी- स्मार्ट हलचल|कोटा-बूंदी के गैंता माखीदा गांवो के बीच चंबल नदी पर बना हाई लेवल ब्रिज तीन जिलों सहित मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले के लोगो के लिए छलावा ही साबित हो रहा है।इन बीते आठ सालो मे पुल बनने से दुरी जरूर कम हुई है लेकिन यात्रा के संसाधनों का विकास नही हो पाया है। आज भी दोनो तरफ के लोगो को टुकडो मे यात्रा करनी पडती है जो काफी असुविधाजनक और खर्चीली होने के साथ समय की बडी बर्बादी का कारण बन रही है। चंबल नदी पर पुल बनने से कमर्शियल वाहनो सहित निजी वाहन मालिकों के लिए तो आवागमन सुविधाजनक हो गया लेकिन दोनो तरफ के गावों के गरीब ग्रामीणों को यात्री वाहन उपलब्ध नहीं होने से इसका समुचित लाभ नही मिल पा रहा है।
रोडवेज बस सेवा का अभाव चंबल नदी पर पुल बनने से
कोटा बूंदी, बारां, सवाईमाधोपुर जिले के गावों की एक दुसरे से कनेक्टिविटी मे सुधार हुआ है ओर आवागमन सुगम हुआ है। पुल से मध्यप्रदेश के श्योपुर व अन्य जिलों का भी सीधा संपर्क होने लगा है। इतना होने के बावजुद इन इलाको के लोगो के लिए यात्री वाहनों का टोटा बडी मुसीबत बन रहा है। श्योपुर खातोली इटावा से लाखोरी इंदरगढ़ के बीच ना तो रोडवेज बस सेवा उपलब्ध है ओर नए ही अन्य कोई समुचित साधन। ऐसे में दोनो तरफ के लोगो को भारी परेशानी झेलनी पड रही है चुनोति टुकडो मे यात्रा करना बड़ी
चंबल नदी पर पुल बनने के बाद भी यात्री वाहनों का अभाव बना हुआ है। इसके चलते दोनो तरफ के लोगो को टुकडो मे यात्रा करनी पड़ती है। टुकडो की यह यात्रा खर्चीली होने के साथ साथ समय के लिहाज से भी सुगम नही है। मध्यप्रदेश के श्योपुर से लाखेरी,
इंदरगढ पहुंचने के लोगो को पहले खातोली या इटावा आना पडता तब कहीं जाकर वे ठिकाने तक का आधा सफर तय कर पाते है। यही समस्या लाखेरी व इंदरगढ से श्योपुर खातोली जाने वालो के साथ होती है।
सौ सालो से रिश्तेदारी के साथ पारिवारिक संबंधो से जुडे है गाँव
कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर सहित मध्यप्रदेश के श्योपुर क्षेत्र के लोगो का दोनो तरफ के लोगो से लंबे समय तक पारिवारिक सबंध होने के चलते आना जाना लगा रहता है। पुल से पहले लोग नाव से नदी पार करते थे। पुल बनने के बाद दोनो तरफ के लोगों के बीच दुरी तो कम हो गयी लैकिन यात्री सुविधाओ का विकास नही हो पाया है। इसके चलते लोगो को अपने रिश्तेदारों ओर करीबी लोगों तक पहुंचने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है
चंबल के दुसरी तरफ के इटावा,खातोली, श्योपुर, खंडार सहित अन्य दर्जनो गांवो के लोगो का बूंदी जिले के दो बडे धार्मिक स्थल बीजासन माता, कमलेश्वर महादेव से भी लंबे समय से जुडाव रहा है। कमलेशवर महादेव के दर्शनो के लिए तो हर महीने बडी संख्या मे लोग पहुंचते है। इन बडे धार्मिक स्थलो से सीधे जुड़ाव मे भी यात्री वाहनों की कमी बडी समस्या बन जाती है।
बस सेवा के लिए लोकसभा स्पीकर से उम्मीद
चंबल के दुसरी तरफ श्योपुर, खातोली, खंडार सहित मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों के गावों को बूंदी जिले के लाखेरी, इंदरगढ से सीधा जुडाव के लिए रोडवेज या निजी बस सेवा की सख्त जरूरत है। इसको लेकर दोनो तरफ के लोग प्रयासरत है लेकिन उनकी मांग को राज नीतिक समर्थन नही मिल पा रहा है। हाल ही में दोनो तरफ के लोगो ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को इस समस्या से अवगत करवाया है ताकि रोडवेज व निजी बस सेवा की सुविधा लोगो को मिल सके।


