Homeराजस्थानचित्तौड़गढ़जिला न्यायाधीश चित्तौड़गढ़ का ऐतिहासिक फैसला

जिला न्यायाधीश चित्तौड़गढ़ का ऐतिहासिक फैसला


रोजड़े कि वजह से मौत पर 41 लाख रुपये क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश


ओम जैन

शंभूपुरा।स्मार्ट हलचल/न्यायालय जिला न्यायाधीश चित्तौड़गढ़ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में सड़क मार्ग पर रोजड़े (नीलगाय) के आ जाने से दुर्घटना में मृत्यु के मामले में मृतक के परिजनों को 41 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति राशि मय ब्याज के दिलाये जाने का सरकार के विरूद्ध आदेश पारित किया। इस प्रकार रोजड़े (नीलगाय) से मृत्यु के मामले में क्षतिपूर्ति राशि अदा करने का आदेश राज्य सरकार को देने का आदेश प्रदेश में संभवतः पहला मामला है।
मामले के अनुसार उंखलिया तहसील निम्बाहेड़ा निवासी सुरेश चंद्र टांक के परिजनों ने अधिवक्ता रजनीश पितलिया एवं मोहित सोनगरा के जरिये एक प्रार्थनापत्र जिला न्यायालय चित्तौड़गढ़ में प्रस्तुत कर बताया कि दिनांक 23 नवंबर 2020 को सुरेश चंद्र टांक घटियावली खेड़ा आटा प्लांट से अपने निवास उंखलिया मोटरसाईकिल पर आ रहे थे कि वन नाका घटियावली रेंज चित्तौडगढ़ की सीमा पर लगती हुई सड़क पर जंगल से अचानक नीलगायों (रोजडों) का झुंड दौड़कर सड़क पर आ गया, जिससे सुरेश चंद्र मोटरसाईकिल सहित अनियंत्रित होकर नीचे गिर गए और सिर में गंभीर चोट आई। जिनकी दौराने ईलाज मृत्यु हो गई। इस घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना शंभूपुरा में दर्ज करवाई गई एवं पोस्टमार्टम भी कराया गया। पुलिस ने अनुसंधान के बाद नीलगायों के अचानक दौड़कर सड़क पर आ जाने से मोटरसाईकिल अनबैलेंस हो जाने से सुरेश कुमार की मृत्यु होना मानकर अंतिम प्रतिवेदन एसडीएम के यहां प्रस्तुत किया। मृतक के परिजनों ने वन विभाग में जंगली जानवरों द्वारा वन्य जीव क्षेत्र अथवा वन्य जीव क्षेत्र के बाहर जनहानि को लेकर निर्धारित क्षतिपूर्ति दिलाये जाने बाबत निवेदन किया, परंतु वन विभाग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस पर मृतक के आश्रितगण द्वारा जिला न्यायालय में राज्य सरकार, वन विभाग, सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग को पक्षकार बनाते हुए घातक दुर्घटना अधिनियम में प्रार्थना पत्र पेश कर क्षतिपूर्ति राशि दिलाये जाने बाबत निवेदन किया।
जिला न्यायाधीश महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने अपने विस्तृत आदेश में प्रार्थीगण के अधिवक्ता पितलिया के तर्को से सहमत होते हुए यह माना कि उक्त दुर्घटना विपक्षीगण की लापरवाही से होना प्रमाणित है, क्योंकि लोक निर्माण विभाग की जो सड़क है, उस सडक पर जंगली जानवर और वन्य जीव अगर आ जाते हैं तो उससे दुर्घटना होना स्वाभाविक है। विपक्षीगण का दायित्व था कि वह सड़क के किनारे फैसिंग तार अथवा तारबंदी कर सड़क मार्ग को सुगम बनाते, जिससे सड़क पर अचानक जंगली जानवर न आ सके। इस प्रकार विपक्षीगण के उपेक्षापूर्ण कृत्य के कारण सुरेश चंद्र को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। न्यायालय ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों की विवेचना करते हुए मृतक की उम्र व परिवार में आश्रितों को देखते हुए 41 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति राशि विपक्षी राज्य सरकार, वन विभाग, सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग को संयुक्त एवं पृथक-पृथक रूप से आवेदन दिनांक 21 सितंबर 2021 से ताअदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के अदा करने का आदेश पारित किया।

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