शहीद बल्लू की याद में ग्राम पावटा में खेली गई ऐतिहासिक डोलची होली, निकली सजीव झांकियां
महुवा (हर्ष अवस्थी) 26 मार्च
स्मार्ट हलचल/महुआ उपखंड क्षेत्र के ग्राम पावटा की ऐतिहासिक डोलची होली का खेल ऐसा होता है कि मानो युद्ध हो रहा हो। राजस्थान सरकार के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम, पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह महुआ, प्रधान गीता देवी गुर्जर, महुवा प्रेस क्लब अध्यक्ष गोपुत्र अवधेश अवस्थी, मुकुल भड़ाना, पावटा सरपंच प्रतिनिधि मुकेश शर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में महुवा विधानसभा क्षेत्र के पावटा ग्राम में शहीद बल्लूसिंह की याद में होली खेली गई।
शहीद बल्लू की याद में पावटा गांव में करीब 500 साल से डोलची होली की परंपरा को ग्रामीणों द्वारा निभाया जा रहा है। इस होली में ग्रामीण एकदम नंगा बदन हाथों में चमड़े की डोलची में पानी भरकर दुश्मन की तरह एक दूसरे पर प्रहार करते हैं। हजारों से ज्यादा युवा, बुजुर्ग एवं बच्चे, डोली से पानी के टीके परिहार की छपाक की आवाज और युवाओं की सुर्ख लाल पीठ होली की दूज को यह अनूठा और रणभूमि जैसा मनमोहक नजारा था। ग्रामीणों ने बताया कि यह ऐतिहासिक मेला बल्लू शाहिद की याद में करीब 500 साल से परंपरा पर अनवरत खेली जा रही है डोलची खूनी होली का है, जहां अतिथियों का इशारा मिलते ही दो अलग-अलग धड़ों में बटी सेनायें एक दूसरे पर टूट पड़ती हैं। मानव अधीर चौक का मैदान रणभूमि और बुजुर्ग व युवा सेना के तौर पर लड़ते नजर आते हैं। इस ऐतिहासिक होली के प्रत्यक्षदर्शी बने करीब दस हजार से अधिक महिला पुरुष जिनसे गांव के रास्ते गली घरों की छत खचाखच भर जाती हैं। हदीरा मैदान की सजावट से लेकर कुंडों में लाल रंग का पानी भरे जाने सहित अन्य तैयारियां की जाती हैं। हदीरा बाबा मंदिर में पूजा अर्चना के बाद हर एक लड़ाकू को टीका लगाकर डोलची मैदान में भेजा जाता है। जैसे ही गांव के बुजुर्ग, पंच पटेल व अतिथियों का इशारा मिलता है, रंग से भरी डोलची लेकर खड़े लोग एक दूसरे पर टूट पड़ते हैं जिनके कारण ऐसा लगता है कि मानो दो अलग-अलग सेनाओं का रणभूमि में युद्ध चल रहा हो। इस दौरान होली मैदान में खड़े लोग लड़ाके जैसे नजर आए। चमड़े की पात्र डोलची में रंग गला पानी भरकर एक दूसरे के ऊपर प्रहार कर पानी की जबरदस्त बौछार से उनका नंगा बदन सुर्ख लाल हो जाता है। डोलची के बाद देवर भाभी की प्रसिद्ध होली खेली गई। इनके बाद सजे धजे ऊंट, घोड़े पर सवार होकर ढोला मारू की सवारी सहित अन्य सजीव झांकियां निकाली गई।
पावटा का हदीरा चौक बन गया रणभूमि
गांव के सभी युवा, बुजुर्ग और बच्चे डोलची खेलने में जुट जाते हैं। इस दौरान घर-घर में मेहमान नवाजी होती है। पावटा में डोलची होली को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सभी ग्रामीणों द्वारा इसकी व्यापक तैयारियां की जाने के साथ-साथ कार्यक्रम में आने वाले लोगों की मेहमान नवाजी के साथ खास ख्याल रखा जाता है जहां हर एक घर में दाल बाटी चूरमा खीर मालपुआ वह अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार यह किंवदंती है कि धड अलग होने पर भी दुश्मनों से लड़े थे बल्लू शहीद। इसके अलावा डोलची होली नहीं मानने पर गांव में संकट के बादल छाए थे। गांव की बुजुर्ग लोग बताते हैं कि करीब 500 सालों से चली आ रही डोलची होली वीर शहीद बल्लू की याद में होली दोज को प्रतिवर्ष मनाई जाती है। मान्यता है कि प्राचीन समय में दो पक्षों में झगड़ा हो गया था जिसमें गांव के बल्लू नामक व्यक्ति का सिर धड़ से अलग हो गया लेकिन वे दुश्मनों से लड़ते रहे। उन्ही की याद में डोलची होली ग्राम में प्रतिवर्ष खेली जाती है। उन्होंने बताया कि एक बार गांव में किसी कारणवश यह होली नहीं खेली गई तो गांव पर संकट के बादल छा गये। अकाल के कारण बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गई। फिर गांव वालों ने बल्लू शहीद के स्थान पर जाकर मान मनुहार की और हर वर्ष होली खेलने की कसम खाई तब जाकर गांव में खुशहाली आई।
इस दौरान पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह, प्रधान गीता देवी गुर्जर, महुवा प्रेस क्लब अध्यक्ष गोपुत्र अवधेश अवस्थी, मुकेश शर्मा पावटा, सरपंच रेनू शर्मा, हरदेव पावटा, पूर्व पंचायत समिति सदस्य विजेंद्र सिंह, बंटी गुर्जर, कप्तान भरत सिंह, धर्मजीत सिंह, पूर्व सरपंच टीकम सिंह, पूर्व सरपंच हनुमान सहाय जींद, जनक सिंह ,बादाम सिंह, हकीम खेड़ला, रामावतार शर्मा खावदा, संतोष जैन, नंद किशोर तिवारी, राजेंद्र पाराशर ,लौकी जिंद, आराम सिंह ठेकेदार लांगडीपुरा, कौशल उपाध्याय, सहित अनेक गणमान्य नागरिक एवं सलेमपुर थाना अधिकारी सहित पुलिस बल मौजूद रहे।