योगी सरकार में फर्जी ठाकुरवाद के आरोप के बाद छिड़ी नई बहस
♦️स्मार्ट हलचल न्यूज़♦️
लखनऊ।स्मार्ट हलचल/भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 (4) के अनुसार राज्य सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए कुछ विशेष प्रावधान कर सकता है, इसी के आधार पर आरक्षण का जन्म हुआ है। परंतु अपने उपनाम में सिंह शब्द का प्रयोग करके अपने आप को अघोषित रूप से क्षत्रिय बताने वालों को किसी भी प्रकार के आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिए। उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह ने कहीं, ज्ञात हो कि एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के एक पत्रकार के द्वारा अपने सोशल मीडिया पर अधिकारियों की एक लिस्ट जारी की गई जिसमें तमाम सिंह उपनाम वाले अधिकारियों को क्षत्रिय बता कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया गया और ठाकुरवाद का आरोप लगाया गया। बाद में तमाम सारे अधिकारी अन्य जातियों के निकले लेकिन सिर्फ उनके नाम के आगे सिंह लगा होने के कारण उनको क्षत्रिय बताया गया और पहले भी बताया जाता रहा है। इसी को लेकर समाज में चर्चा शुरू हो गई है कि एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो अपने आप नाम के आगे सिंह शब्द का प्रयोग करता है और साथ ही साथ वह आरक्षण का लाभ भी लेता है। इस मामले पर जब एडवोकेट रीना एन सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) में सामाजिक रूप से पिछड़े शब्द का जिक्र किया गया है लेकिन जब कोई व्यक्ति अपने नाम के आगे सिंह लगता है तो वह सामाजिक रूप से पिछड़ा नहीं माना जाना चाहिए। निश्चित रूप से ऐसे लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होना चाहिए आरक्षण का लाभ उन लोगों को मिलना चाहिए जो वास्तविक रूप में सामाजिक रूप से पिछड़े हो।