राजेश कोछड़
भोपाल- स्मार्ट हलचल/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मध्य प्रदेश के झाबुआ का दौरा किया और राज्य के लिए 7,550 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ”मैं झाबुआ में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने नहीं, बल्कि आपका ‘सेवक’ बनकर आया हूं। हमारी ‘डबल इंजन’ सरकार मध्य प्रदेश में दोगुनी गति से काम कर रही है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में जनजातीय रैली में कहा, ”हमने वोट के लिए नहीं, बल्कि आदिवासियों के स्वास्थ्य के लिए ‘सिकल सेल एनीमिया’ के खिलाफ अभियान शुरू किया। मोदी ने मतदाताओं से भाजपा को 370 लोकसभा सीट जीतने के लिए पिछले चुनाव की तुलना में प्रत्येक बूथ पर 370 अतिरिक्त मत सुनिश्चित करने को कहा। प्रधानमंत्री ने यहां तक कि संसद में विपक्षी नेता भी अब राजग के लिए “अबकी बार 400 पार” कह रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस ने इतने सालों तक शासन किया और उन्हें काम करने का मौका मिला लेकिन केवल 100 एकलव्य स्कूल खोले गए। बीजेपी सरकार ने पिछले दस वर्षों में चार गुना अधिक एकलव्य स्कूल खोले। यह मोदी को स्वीकार्य नहीं है। एक भी आदिवासी बच्चा शिक्षा के अभाव में वंचित रह जाता है। हमारा आदिवासी समाज हजारों वर्षों से वन संपदा से अपना जीवन यापन करता आ रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के समय में आदिवासियों के अधिकारों पर कानूनी सुरक्षा के उपाय किये गये। वन संपदा कानून, हमारी सरकार ने आदिवासी समाज को वन भूमि से जुड़े अधिकार लौटाये। इतने वर्षों से आदिवासी परिवारों में सिकल सेल एनीमिया से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत हो रही थी। कांग्रेस ने केंद्र और राज्य दोनों जगह सरकार चलायी इतने सालों तक, लेकिन उन्हें उन आदिवासी युवाओं और बच्चों की परवाह नहीं थी जो असामयिक मौत मर रहे थे।” नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मध्य प्रदेश में 7,550 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
महिलाओं को 1,500 रुपये प्रतिमाह
उन्होंने राज्य की ‘आहार अनुदान योजना’ के तहत लगभग दो लाख महिला लाभार्थियों को मासिक किस्त भी वितरित की। योजना के तहत विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों की महिलाओं को पौष्टिक भोजन के लिए 1,500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाते हैं। मोदी ने स्वामित्व योजना के तहत 1.75 लाख ‘अधिकार अभिलेख’ (भूमि अधिकारों का रिकॉर्ड) भी वितरित किए, जो लोगों को उनकी भूमि के अधिकार के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्रदान करेगा। उन्होंने टंट्या मामा भील विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी, जो राज्य के आदिवासी बहुल जिलों के युवाओं को सुविधाएं प्रदान करेगा। एक सौ सत्तर करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाला यह विश्वविद्यालय छात्रों के समग्र विकास के लिए विश्व-स्तरीय बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा।