Drug Inspector’s investigation
बायोलैब रेमेडीज फर्म ने दिल्ली और बिहार में भी की दवा की सप्लाई
फर्म के दो अन्य संचालको के नाम आये सामने, विभाग जल्द करेंगा लाइसेंस रद्द की कार्यवाही
बून्दी। स्मार्ट हलचल/केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित दवा को बेचने के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ नारकोटिक्स विभाग द्वारा बून्दी की बायोलैब रेमेडीज फर्म के विरुद्ध की गई कार्यवाही के बाद बून्दी ड्रग इंस्पेक्टर की जांच में सामने आया कि फर्म द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ दिल्ली, बिहार और राजस्थान के कई जिलों में फर्म द्वारा दवा की सप्लाई की गई थी। विभाग के अधिकारियों ने दिल्ली और बिहार में वहां के औषधी विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर उन फर्मो का रिकॉर्ड मांगा है। हालांकि इस फर्म द्वारा यह दवा दिसम्बर माह में देना भी सामने आया है। फर्म के संचालक अंकुश पालीवाल की गिरफ्तारी के बाद फर्म में दो साझेदारों के नाम भी सामने आ गए है। हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस और नारकोटिक्स विभाग द्वारा केवल फर्म के तीन साझेदारों मेसे केवल एक के विरुद्ध ही कार्यवाही करने की बात अब लोगो के गले नही उतर रही है। बायोलैब रेमेडीज फर्म में अंकुश पालीवाल के साथ सन्नी जैन और रुचि माहेश्वरी भी बराबर के साझेदार है। लेकिन कार्यवाही और गिरफ्तारी अंकुश की ही हुई। जबकि फर्म पार्टनर सन्नी और रुचि जिस समय कार्यवाही चल रही थी उस समय मौजूद थे।
दिल्ली और बिहार भी की सप्लाई
ड्रग इंस्पेक्टर रोहिताश नागर ने जानकारी देते हुए बताया कि बायोलैब रेमेडीज फर्म द्वारा छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली और बिहार की एक एक फर्म और राजस्थान में कुछ जिलों में दवा सप्लाई देना जांच में सामने आया है। नागर ने बताया कि वैभव, एटिन नामक फर्म और एक अन्य फर्म को सप्लाई देना अबतक की जांच में सामने आया है। हालांकि यह फर्म राजस्थान के बाहर की है। तीन साझेदारों की बून्दी स्थित बायोलैब रेमेडीज फर्म बिबनवा रोड़ स्थित दुकान से अपना व्यापार कर रही है। 2 वर्ष पूर्व ओषधि विभाग से इन्हें लाइसेंस जारी किया गया था।
छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यवाही के बाद लेंगे एक्शन
बून्दी ड्रग इंस्पेक्टर रोहिताश नागर का मामले पर कहना है कि छत्तीसगढ़ पुलिस और नारकोटिक्स विभाग द्वारा जो कार्यवाही की गई थी उसमें उन्हें शामिल नही किया गया था। लेकिन बून्दी की फर्म के विरुद्ध कार्यवाही हुई जो गम्भीर है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ नारकोटिक्स विभाग इसे किस श्रेणी का अपराध मानती है उसके बाद हम फर्म के विरुद्ध कार्यवाही के लिए उच्च अधिकारियों को लिखेंगे। उन्होंने बताया कि इस मामले में फर्म का लाइसेंस भी निरस्त करने की कार्यवाही भी की जा सकती है। ड्रग इंस्पेक्टर ने भी मामले में छतीसगढ़ पुलिस और नारकोटिक्स विभाग द्वारा फर्म संचालको 3 सदस्यों मेसे केवल एक के विरुद्ध ही कार्यवाही करने को गलत बताया है। उनका कहना था कि अगर दवा की सप्लाई हुई है तो तीनों के ध्यान में होगा। इस मामले में चिकित्सा अधिकारियों का कहना हैं कि कोडिंन खांसी की दवा में काम करता है। केंद्र सरकार द्वारा आदेश है कि कोई भी मेडिकल संचालक बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रेप्शन के यह दवा मरीज को ना दे।