उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया 9वें संस्करण का पोस्टर विमोचन
उदयपुर, 14 सितंबर। स्मार्ट हलचल|वागड़-मेवाड़ की हरी-भरी वादियों, घने जंगलों और प्राकृतिक सौंदर्य से सजे दक्षिण राजस्थान में अब रोमांचक साइक्लिंग का अनोखा अनुभव मिलने जा रहा है। ईको-टूरिज्म को गति देने और जंगल व प्रकृति की ओर लोगों का आकर्षण बढ़ाने के लिए वन विभाग, ग्रीन पीपल सोसायटी, पर्यटन विभाग तथा बेला बसेरा रिसोर्ट के संयुक्त तत्वावधान में ‘पेडल टू जंगल’ का 9वां संस्करण 18 दिसंबर से 21 दिसंबर, 2025 को आयोजित होगा। यह चार दिवसीय आयोजन प्रकृति, पर्यटन और रोमांच का अद्वितीय संगम होगा।
रविवार को उदयपुर यात्रा पर पहुँचीं उपमुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री दिया कुमारी ने ‘पेडल टू जंगल’ के इस संस्करण के पोस्टर का विमोचन किया। उन्होंने इस पहल की सराहना की और इसे इस अंचल की प्राकृतिक सौंदर्यश्री, जैव विविधता और कला-संस्कृति के सौंदर्य को देश-दुनिया तक पहुंचाने का बेहतरीन प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल पर्यटन को नया आयाम देते हैं बल्कि स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
पोस्टर विमोचन समारोह में ग्रीन पीपल सोसायटी अध्यक्ष राहुल भटनागर सहित जिला कलेक्टर नमित मेहता, पर्यटन विभाग के अतिरिक्त निदेशक आनंद त्रिपाठी, प्रतापसिंह चुण्डावत, सुहेल मजबूर, यासीन पठान, वी.एस. राणा, सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।
उपमुख्यमंत्री को ‘अरण्यं’ पुस्तक भेंट की:
इस अवसर पर राहुल भटनागर ने उपमुख्यमंत्री को अपनी नवीनतम प्रकाशित पुस्तक ‘अरण्यं’ भी भेंट की, जिसे मेवाड़ के जंगलों और जैव-विविधता का जीवंत दस्तावेज बताया गया। इस पुस्तक का आमुख उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी द्वारा लिखा गया है।
पेडल टू जंगल : रोमांच और पर्यावरण संरक्षण का मेल
यह आयोजन दक्षिण राजस्थान के हरियाले अरण्यों और आदिवासी अंचल की झलक पेश करेगा। चार दिवसीय साइक्लिंग अभियान में देशभर से आने वाले प्रतिभागी जंगल के रास्तों, पहाड़ियों और नदियों के किनारे से गुजरते हुए प्रकृति के करीब पहुंचेंगे। आयोजन समिति के अनुसार इसका उद्देश्य है—
ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना
स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना
जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना
युवाओं को रोमांचक खेलों के साथ प्रकृति से जोड़ना
बढ़ेगा पर्यटन, जुड़ेगी नई संभावनाएं
आयोजकों का मानना है कि ‘पेडल टू जंगल’ केवल खेल या मनोरंजन भर नहीं, बल्कि यह दक्षिण राजस्थान के पर्यटन परिदृश्य में एक स्थायी पहचान बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न सिर्फ वनों और वन्यजीवों के संरक्षण का संदेश जाएगा बल्कि स्थानीय पर्यटन व्यवसाय, रिसोर्ट्स और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा मिलेगी।