(राजेश जीनगर, भीलवाड़ा)
देश-प्रदेश व ज़िले में आज सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों सहित कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा प्रमुख चौराहों पर सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराकर गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। झंडारोहण के बाद खुले आसमां में लहराते तिरंगे को लेकर हर किसी का मन हर्षा रहा था, तो वही दुसरी ओर शहर के इन्हीं प्रमुख चौराहों पर झंडे बेचने वालों द्वारा “राष्ट्रीय ध्वज” का अनादर भी हो रहा था। जिस और प्रशासन का ध्यान नहीं गया तो उन्हें कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं मिला। तीन रंगों से सजा राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की आन बान और शान का प्रतीक है और इसका आदर सत्कार करना हम सभी का कर्तव्य है, लेकिन फिर भी यह सार्वजनिक रूप से अपमानित होता रहा। जबकि राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करने पर भारतीय ध्वज आचार संहिता 2002 व राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत 3 वर्ष की जेल या जुर्माने तक का प्रावधान है। लेकिन प्रशासन के जिम्मेदारों द्वारा व्यवस्थित रूप से मोनिटरिंग नहीं करने से तिरंगे का अनादर होना, जैसे आम बात सी होती जा रही है। इस तिरंगे के सम्मान और इसकी रक्षा के लिए देश की सीमा पर अब तक अनगिनत सैनिक शहीद हो चुके हैं। कितनी माताओं बहनों ने अपना बेटा और भाई खो दिया और कितने ही नौनिहालों के सिर से उनके पिता का साया उठ गया। लेकिन प्रशासन व अनादर करने वालों को उस बलिदान की जरा सी भी कदर नहीं। समाजसेवा से जुड़े एक आरटीआई कार्यकर्ता और एडवोकेट पीसी शर्मा के अनुसार उन्होंने पत्र व्यवहार कर केन्द्र सरकार को 2014 (सितम्बर) में तिरंगे का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की थी साथ ही तिरंगे के सत्कार के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियमों की जानकारी हासिल कर जिला प्रशासन को अवगत करवाया। सजा के प्रावधान व जुर्माने के बावजूद राष्ट्रीय पर्वों (स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस) पर तिरंगे का अपमान आज भी बदस्तूर जारी है। लेकिन कार्यवाही करने वाला कोई नहीं।