Homeराष्ट्रीयमहाराष्ट्र में किसकी मुश्किल बढ़ाएगी छोटी पार्टिया ?

महाराष्ट्र में किसकी मुश्किल बढ़ाएगी छोटी पार्टिया ?

अशोक भाटिया

स्मार्ट हलचल/2024 लोकसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी अलायंस का विस्तार हुआ है। संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर राज्य में महाविकास आघाड़ी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मुंबई में राज्य की 48 लोकसभा सीटों की शेयरिंग के हुई बैठक में वंचित बहुजन आघाडी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर भी शामिल हुए। बैठक से पहले प्रकाश आंबेडकर का फूल देकर स्वागत किया गया था । शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने प्रकाश आंबेडकर के एमवीए में आने पर खुशी जताई उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा की लड़ाई अब वे मिलकर लड़ेंगे।

बताया जाता है कि आंबेडकर के महाविकास आघाड़ी (एमवीए) में शामिल के होने के बाद घटक दलों की संख्या मोटे तौर पर बढ़कर चार हो गई है। इनमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) की पार्टी शामिल है। तीनों पार्टियों के बीच राज्य की 34 सीटों पर सीट शेयरिंग तय हो चुकी है। राज्य की 14 सीटों को लेकर दलों के बीच पेंच फंस रहा था। पिछली बैठक में यह कहा गया था कि अगली बैठक में इन सीटों शेयरिंग तय हो जाएगी। जिस सीटों पर पेंच फंस रहा है उनमें प्रमुख तौर पर वर्धा, रामटेक, भिवंडी, हिंगोली, जालना, मुंबई उत्तर पश्चिम, मुंबई उत्तर मध्य, मुंबई दक्षिण मध्य और शिरडी शामिल हैं। एमवीए में वंचित बहुजन आघाड़ी की इंट्री के बाद दो से तीन सीट प्रकाश आंबेडकर की पार्टी के पास जाने की उम्मीद है।

कांग्रेस महाराष्ट्र में 20 से 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) गुट छह से आठ सीटें मिल सकती हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना 18 सीटें मिलने की उम्मीद है। ऐसे में वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) नेता प्रकाश अंबेडकर को कांग्रेस अपने खाते से सीटें देगी, जबकि अगर अलायंस में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन की इंट्री होती है तो शिवसेना (यूबीटी) ने हातकणंगले लोकसभा छोड़ेगी, हालांकि राज्य में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड ने भी एक सीट की मांग रखी है।

2019 के लोकसभा चुनावों में वंचित बहुजन आघाड़ी ने AIMIM के साथ मिलकर 47 सीटों पर लड़ा था। तब वंचित बहुजन आघाड़ी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। पार्टी को 6.82 फीसदी वोट मिले थे। प्रकाश आंबेडकर की पार्टी को 3,743,560 वोट हासिल हुए थे। औरंगाबाद सीट पर AIMIM को जीत मिली थी। प्रकाश आंबेडकर के एमवीए से जुड़ने के बाद दलित वोटों के साथ मुस्लिम वोटों का फायदा अलायंस को मिल सकता है। 2019 में विधानसभा चुनावों में वंचित बहुजन आघाड़ी राज्य की 10 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। पार्टी को राज्य में 24 लाख वोट हासिल हुए थे। वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर अकोला से लड़े थे। वे दूसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी। प्रकाश आंबेडकर फिर से अकोला से लड़ सकते हैं। प्रकाश आंबेडकर के एमवीए में आने से करीब आठ लोकसभा सीटों पर अलायंस को वोटों में फायदा हो सकता है।

इधर दूसरे दलों कि बात करें तो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) आगामी लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीट में से पांच पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। पार्टी के एक नेता ने यह जानकारी दी है । रविवार को यहां भिवंडी में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए एआईएमआईएम की महाराष्ट्र इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अब्दुल गफ्फार कादरी ने कहा कि पार्टी राज्य की उत्तरी मुंबई, धुले, नांदेड़, भिवंडी और छत्रपति संभाजीनगर सीट पर अपने उम्मीदवारों को उतारने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी नीत पार्टी प्रभावी चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए फिलहाल इन सीट पर सर्वेक्षण कर रही है।

इसके साथ ही कादरी ने विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने के लिए निशाना साधने से नहीं चुकें और कहा कि दोनों दल एआईएमआईएम को अछूत मानते हैं। उन्होंने ‘तथाकथित’ धर्मनिरपेक्ष दलों द्वारा एआईएमआईएम के साथ किए गए व्यवहार को लेकर भी सवाल उठाया। एआईएमआईएम, विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। AIMIM ने 2019 के चुनावों में औरंगाबाद सीट पर जीत हासिल की थी। पिछले लोकसभा चुनावों में AIMIM प्रकाश आंबेडकर की अगुवाई वाली वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी। इसके चलते AIM IM औरंगाबाद सीट को जीतने में सफल रही थी, हालांकि तब वंचित बहुजन आघाड़ी को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने बीआरएस की भाजपा की ‘बी-टीम’ कहकर निंदा की है, जबकि श्री खोत, जो श्री शेट्टी के पूर्व करीबी सहयोगी और अब उनके कट्टर विरोधी हैं, दोनों एमवीए के लिए खतरा पैदा करते हैं।देखा जाय तो प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भाजपा की कथित सांप्रदायिक विचारधारा के विरोधी हैं, लेकिन उन्होंने अतीत में कांग्रेस और एनसीपी के वोटों में सेंध लगाकर पार्टी को परोक्ष रूप से फायदा पहुंचाया है।2019 के लोकसभा चुनाव में, वीबीए-एआईएमआईएम गठबंधन द्वारा दलित और अल्पसंख्यक वोट छीनने के बाद कांग्रेस और एनसीपी उम्मीदवारों को कम से कम 10 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
इसके अलावा महाराष्ट्र में और भी छोटे कई दल सक्रीय है जिन्हें पिछले विधान सभा चुनाव में सफलता मिली थीं । बहुजन विकास आघाडी- 3 सीपीआईएम- 1 जन सुराज्य शक्ति- 1 क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी- 1 एमएनएस- 1 पीजैन्ट्स एण्ड वर्कर्स पार्टी ऑफ इण्डिया- 1 प्रहार जनशक्ति पार्टी- 2 राष्ट्रीय समाज पक्ष- 1 समाजवादी पार्टी- 2 स्वाभिमानी पक्ष- 1 निर्दलीय- 13 । ये दल भी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए यां तो सवतंत्र चुनाव लड़ सकते है यां अपनी सहूलत के साथ किसी बड़ें संगठन के साथ जा सकते है । भले ही न जीतें पर वोट काटने तो काम कर ही सकते है ।
राजू शेट्टी, जो स्वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस) के प्रमुख हैं और अतीत में भाजपा और एमवीए दोनों के साथ गठबंधन कर चुके हैं, सांगली, कोल्हापुर और सतारा के ‘चीनी बेल्ट’ जिलों में प्रभाव रखते हैं, और एक मुख्य आधार का दावा करते हैं 4.5 लाख वोटर का ।
कोल्हापुर के हटकनंगले से दो बार के पूर्व सांसद, श्री शेट्टी की पार्टी, किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य प्रदान करने और बढ़ती उर्वरक लागत और डीजल की कीमतों के खिलाफ लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए, खुद को ग्रामीण मतदाताओं के लिए एक राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश करने का प्रयास कर रही है पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में।हालाँकि, एसएसएस को किसान-केंद्रित होने का दावा करने वाली दो पार्टियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के।चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सदाभाऊ खोत की भाजपा सहयोगी रयत क्रांति संगठन।
आप पार्टी भी महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव लड़ सकती है और यदि इंडिया गठबंधन के साथ रही तो अगाड़ी से सीटें मांग सकती है और अकेली लड़ी तो अगाड़ी का ही खेल बिगाड़ सकती है ।मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी जिसने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है और पिछले समाचारों के अनुसार वह महाराष्ट्र की 48 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर सकती जो अगाड़ी को मुस्लिम व दलितों के वोटों की हानी पंहुचा सकती है ।
चार बार के विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व वाली प्रहार जनशक्ति पार्टी, जो अमरावती और बुलढाणा जिलों में प्रभाव रखती है, भाजपा की एक महत्वपूर्ण सहयोगी रही है। श्री कडू उन 10 निर्दलीय विधायकों में सबसे महत्वपूर्ण थे जिन्होंने मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना के खिलाफ तख्तापलट का समर्थन किया था। वह इस चुनाव में क्या करेगी स्पष्ट नहीं है ।
भाजपा के एक अन्य प्रमुख सहयोगी रहे राष्ट्रीय समाज पक्ष के प्रमुख महादेव जानकर, एक प्रमुख धनगर नेता हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में, श्री जानकर ने बारामती में राकांपा सांसद सुप्रिया सुले को डरा दिया, और बाद में 70,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।भाजपा को अपना समर्थन हासिल करने के लिए धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करना होगा।अन्यथा एनडीए को इनके विरोध का सामना करना पड़ सकता है ।

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