(रमेश चंद्र डाड)
आकोला /स्मार्ट हलचल/वर्ष 1975 में आपातकाल घोषित हुआ तब बरुन्दनी गांव के लोकतन्त्र सेनानियों का हौंसला बड़ा दिखाई दिया। छोटे से गांव से उस वक्त 7 व्यक्ति आन्दोलन करते हुए जेल गए।
बरुन्दनी राजस्थान का ऐसा पहला गांव रहा जहां से 7 व्यक्ति आन्दोलन करते हुए जेल गए। उस वक्त जेल जाने वालों में दो छात्र नन्द लाल माली और लक्ष्मण गंवारिया भी थे।
आपातकाल की घोषणा के पश्चात जब लोकतन्त्र बचाने के लिए आन्दोलन होने लगा तब बरुन्दनी के सात व्यक्ति जेल में गए। जेल जाने वाले सभी व्यक्ति राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक थे। जेल की यातनाओं से बिना डरे वे जेल गए और वहां रहे।
जेल यात्रा करने वालों में हरीश चन्द्र गट्टानी,हरक लाल सोमानी, चांद मल गट्टानी, कन्हैया लाल सेन, सत्य नारायण कोठारी, नन्द लाल माली और लक्ष्मण गंवारिया सम्मिलित थे। परिवार की परवाह किए बिना जेल गए और माफी मांग कर बाहर आने को तैयार नहीं हुए।
सत्याग्रह कर जेल जाने वाले हरीश चन्द्र गट्टानी और कन्हैया लाल सेन का निधन हो चुका है।
सत्याग्रह करने वाले चांद मल गट्टानी,नन्द लाल माली,लक्ष्मण गंवारिया,कन्हैया लाल सेन, सत्यनारायण कोठारी साढ़े चार माह तक भीलवाड़ा जेल में बन्द रहे। ये सभी 17 नवंबर 1975 को जेल गए ।
सत्याग्रह करने वाले चांद मल गट्टानी ने अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि “पांचों व्यक्तियो ने पहले मांडलगढ़ में प्रदर्शन करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए लेकिन गिरफ़्तार नही किया गया। हमें तो जेल जाना था इसलिए भीलवाड़ा जाकर प्रदर्शन किया फिर गिरफ्तार हुए । चार व्यक्ति रात्री में बरुन्दनी से 18 किमी पैदल चल कर मांडलगढ़ गए। ”
हरीश चन्द्र गट्टानी और हरक लाल सोमानी जनवरी 1976 में जेल गए। दोनो को न्यायालय की ओर से सजा सुनाने के बाद भीलवाडा से उदयपुर की जेल में भेजा गया। दोनो को 9 माह बाद रिहा किया गया। गट्टानी और सोमानी जेल से रिहा हो कर बरुन्दनी आए तब दोनों का पूरे गांव में जुलूस निकाला गया।
हरक लाल सोमानी ने बताया कि “उन्हे डी आई आर के अंतर्गत 18 माह की कैद और 18 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। उच्च न्यायालय के निर्देश पर 9 माह की सजा बरकरार हुई। उदयपुर की जेल में सघेश्वर महादेव की स्थापना कर हम प्रतिदिन पूजा अर्चना करते थे।”
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने जयपुर में सोमानी,गट्टानी,माली , गंवारिया का अभिनंदन किया। भीलवाडा के सांसद दामोदर अग्रवाल ने भी अप्रैल माह में चुनाव प्रचार के दौरान बरुन्दनी के सातों व्यक्तियो के संघर्ष को कई बार याद किया।