कोटा।स्मार्ट हलचल|श्रीराम मंदिर जवाहर नगर जवाहर नगर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के पांचवें दिन, कथाव्यास हर्षभट्ट महाराज ने रुक्मिणी विवाह प्रसंग की मार्मिक व्याख्या की। उन्होंने कहा कि रुक्मिणी और भगवान श्रीकृष्ण का विवाह केवल प्रेम का प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म, सत्य और मर्यादा की विजय का द्योतक है।
महाराज ने कथा की मीमांसा करते हुए बताया कि रुक्मिणी, जो विदर्भ नरेश भीष्मक की कन्या थीं, अपने मन में भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में वरण कर चुकी थीं। किन्तु उनके भाई रुक्मी ने उनका विवाह शिशुपाल से करने का निर्णय लिया। इस पर रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पत्र लिखकर अपने हृदय की व्यथा व्यक्त की।
प्रसंग का वर्णन करते हुए महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का संदेश पाते ही रथ सजाया और द्वारका से विदर्भ के लिए प्रस्थान किया। महाराज ने भावपूर्ण शैली में वह क्षण चित्रित किया जब श्रीकृष्ण रुक्मिणी का स्वयंवर स्थल से अपहरण कर ले आए और द्वारका में वैदिक विधि से विवाह संपन्न हुआ।
कथाव्यास ने यह भी कहा कि यह प्रसंग हमें सिखाता है कि जब जीवन में धर्म और प्रेम के मार्ग पर चलना हो, तो साहस और संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में भक्ति गीतों की प्रस्तुति ने वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना दिया। श्रीराम मंदिर जवाहर नगर के अध्यक्ष सत्यनारायण जैन व महामंत्री केदार खण्डेलवाल ने बताया कि बडी संख्या मे लोंग इस कार्यक्रम से जुड रहे है और कथा का रसपान कर रहे है।स अवसर पर श्रीराम मंदिर जवाहर नगर के महामंत्री,अध्यक्ष सत्यनारायण जैन व कोषाध्यक्ष सुरेश सोनी,पूर्व अध्यक्ष जगदीश विजय,लहरी शंकर गौत्तम,नंदकिशोर विजय,राजेन्द्र मित्तल,जगदीश बडेरा व पार्षद सुदर्शन गौत्तम, सहित महिला अध्यक्ष निर्मला गौत्तम भी उपस्थित रही और महाआरती में भाग लिया।