स्मार्ट हलचल|नीमराना पंचायत समिति की ग्राम पंचायतों में स्थित चरागाह की हजारो बीघा भूमि में से अधिकांश पर अतिक्रमण हो रहा है। इससे मवेशियों को चारा नहीं मिल पा रहा है। ग्राम पंचायतों की ओर से अतिक्रमण हटाने के कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। राठ मंच के अध्यक्ष मनोज मुदगल एडवोकेट ने बताया कि सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में पशुओं के लिए गोचर भूमि अर्थात चरागाह भूमि आरक्षित कर रखी है। कई पंचायतों में तो एक से डेढ़ हजार बीघा चरागाह भूमि है। चरागाह भूमि की रक्षा व देखभाल करने का जिम्मा ग्राम पंचायत का होता है। ग्राम पंचायतों द्वारा ध्यान नहीं देने से चरागाह भूमि पर अतिक्रमण हो गया है।
पंचायत प्रशासन व राजस्व विभाग चरागाह भूमि पर अतिक्रमण करने वालों पर मामूली जुर्माना करता है। इस कारण अतिक्रमियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। उन्होंने चरागाह भूमि पर पूरी तरह से स्वामित्व कर लिया है। यहां तक की चारदीवारी, कांटेदार बाड़ व आवास तक बना लिए हैं। चरागाह भूमि पर अतिक्रमण होने से गांवों व ढाणियों में मवेशियों के लिए चरने की जगह नहीं बची है। इससे मवेशी भटक रहे हैं।
पंचायतें नहीं निभा रही अपना फर्ज
जानकार सूत्रों की माने तो चरागाह भूमि की मालिक ग्राम पंचायत होती है। पंचायत की जिम्मेदारी है कि जिस गांव में भूमि कब्जे में है। उसे हटाने की जिम्मेदारी पंचायत की है