प्रमोद सैनी धांधेला
पाटन।स्मार्ट हलचल।नीमकाथाना जिले के लोगों को यमुना का पानी चाहिए, क्योंकि क्षेत्र में जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है, जिस कारण किसानों का भविष्य भी खतरे में पड़ गया वहीं क्षेत्र के लोगों के लिए पीने के पानी के भी लाले पड़ गए हैं। इसको लेकर किसान संघर्ष समिति नीमकाथाना द्वारा जिला कलेक्टर के सामने धरना लगाकर प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन देने में लगे हुए हैं ताकि नीमकाथाना के लोगों को यमुना का पानी मिल सके, परंतु अभी तक किसानों की समस्या की तरफ किसी भी अधिकारी ने एवं सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है, जिस कारण किसान संघर्ष समिति के लोग धरने पर बैठे हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश मीणा भराला जो विगत तीन दशकों से भी अधिक समय से जल, जंगल, जमीन, पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि क्षेत्र की प्रसिद्ध एवं प्राचीन कासावती नदी जो बरसात के समय नीमोद के पहाड़ों से निकलकर हरियाणा के पटौदी के खेतों में जाकर फैलती थी वह आज कहां चली गई ? आज कासावती नदी का अस्तित्व खतरे में आ गया है, और लोगों को यमुना का पानी चाहिए, यह सोचने का विषय है ? कासावती नदी में लोगों ने कब्जा कर लिया, कहीं बजरी खनन कर गहरे गड्ढे को दिए तो कहीं क्रेशर प्लांट लगा दिए ऐसे में बरसात का पानी नदी में कैसे पहुंचेगा ? यही नहीं बजरी खनन के दौरान माफियाओं द्वारा बजरी फिल्टर प्लांट लगाकर पानी का दोहन किया गया जिस कारण नदी एवं आसपास के क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे चला गया, जिसके चलते लोगों को पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। मीणा ने यह भी बताया कि जल, जंगल, जमीन, पर्यावरण को बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने के बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस का दम नहीं उठाया, अपितु प्रशासन द्वारा कासावती नदी के बहाव क्षेत्र के पास दर्जन भर क्रेशर प्लांट की स्वीकृति प्रदान कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है। जिस कारण आज कासावती नदी का स्वरूप ही बिगड़ गया है। जिस कासावती नदी के पानी से सैकड़ो गांव के किसान फसल पैदा किया करते थे आज वही कासावती नदी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए आंसू बहा रही है। स्थानीय नेताओं ने भी इस नदी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया, आज जब पानी की समस्या पैदा हुई है तो अब इनको यमुना के पानी की याद आने लगी है। कासावती नदी पर जिले का सबसे बड़ा बांध रायपुर– पाटन बांध बनाया गया था जिससे स्थानीय किसानों को बांध का पानी मिल सके, एवं क्षेत्र का जलस्तर बढ़ता रहे, परंतु निमोद- महवा गांव की सीमा जीर की घाटी में दर्जनों क्रेशर प्लांट नियम विरुद्ध लगा दिए गए जिस कारण दिन प्रतिदिन नदी का स्वरूप ही बिगड़ा हुआ चला गया। 27 जनवरी 2011 को नदी में अतिक्रमण कर मार्ग अवरुद्ध करने के विरुद्ध तत्कालीन तहसीलदार ने पटवारी हल्का व गिरदावर की रिपोर्ट पर राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91/6 में कार्यवाही भी की गई थी व पुलिस में मुकदमा भी दर्ज करवाया गया था परंतु स्थानीय प्रशासन की मिली भगत से लगातार नदी में क्रेशर प्लांट का निर्माण कर नदी को बंद कर दिया गया। जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के निर्णय और राजस्थान सरकार के नियमों के विरुद्ध है। स्थानीय निवासियों द्वारा वर्षों से लगातार प्रयास के बाद भी प्रभावशाली क्रेशर मालिकों की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है, अगर प्रभावशाली कार्रवाई नहीं होती है तो आने वाले समय में कासावती नदी नीमकाथाना के नक्शे से गायब हो जाएगी।