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नगर फोर्ट तहसील क्षेत्र की अरावली पर्वतमालाओं का हो रहा है सीना छलनी

—>निगल गए पहाड़, खा गए बजरी, सो रहा प्रशासन।

—>अवैध खनन नासूर बन गया है।

महेंद्र कुमार सैनी

स्मार्ट हलचल/नगर फोर्ट तहसील क्षेत्र में बजरी व पत्थरों का बेखौफ खनन हो रहा है। इसके आगे जिम्मेदारों की व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही है। तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाली कहावत यहां प्रशासन व खननकर्ताओं की कार्यशैली से साबित हो रही है। नगर फोर्ट कस्बे सहित आसपास के क्षेत्र में बजरी व पत्थरों का अवैध खनन व कारोबार लगातार जारी है। ग्रामीण आरोप लग रहे हैं कि सब प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। बजरी व पत्थरों से भरे दर्जनों ट्रैक्टर ट्रॉली पुलिस थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर पुरानी तहसील के सामने से बेखौफ होकर धड़ल्ले से निकल रहै है। नगर फोर्ट तहसील क्षेत्र में खनन माफियाओं के आगे प्रशासनिक व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही है। खननकर्ता खुलेआम पत्थर और बजरी से लदे ओवरलोड ट्रैक्टर ट्रॉली पार कराते हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।अरावली पर्वत मालाओं से अवैध पत्थरों को परिवहन रोकने के लिए भले ही पुलिस-प्रशासनिक तौर पर तमाम दावे किए जा रहे हों, लेकिन असल हकीकत किसी से छुपी हुई नहीं है।नगर फोर्ट तहसील मुख्यालय से 7 से 10 किलोमीटर दूरी पर बींजारी, फुलेता,गेरोटा, भोजपुरा कस्बे सहित आसपास क्षेत्र में बजरी और अवैध पहाड़ों से पत्थरों का खनन किया जा रहा है। औपचारिकता के तौर पर मामले दर्ज कर लिए जाते है, लेकिन अभी तक पत्थर व बजरी व्यापार से जुड़े किसी बड़े गिरोह तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है। पत्थरों का अवैध व्यापार करने वालों का खेल प्रातः पहाड़ों की ओर दर्जनों ट्रैक्टर निकलना शुरू हो जाते हैं। वहां से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर जरूरत वालों के यहां सप्लाई करते हैं।
बजरी माफियाओं को पुलिस प्रशासन का कोई भय नहीं है। दिनदहाड़े हो रही ब्लास्टिंग क्षेत्र की अरावली पहाड़ियों में इन दिनों आम बात है। पत्थरों का अवैध कारोबार जोरों पर चल रहा है। जिससे पहाड़ों में रह रहे जंगली जानवर ग्रामीण क्षेत्र के खेतों में अपना रुख कर रहे हैं। किसान अपने खेतों पर जाने से कतरने लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध खनन माफिया अरावली पर्वतमालाओं की सुंदरता बिगाडऩे में लगा हुआ है।पुलिस प्रशासन अवैध खनन पर रोक लगाने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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