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यूरिया की कालाबाजारी पर प्रशासन का शिकंजा बेअसर – डीलरों ने ऑर्डर रद्द किए, किसान पड़ोसी जिलों से ला रहे खाद

निरीक्षण और निर्देश सिर्फ दो दिन चले, फिर शुरू हुई कालाबाज़ारी – डीलरों ने ऑर्डर रद्द किए, किसान बेहाल

संजय चौरसिया

हरनावदाशाहजी|स्मार्ट हलचल|बारां जिले के हरनावदाशाहजी क्षेत्र समेत दीगोद जागीर, छीपाबड़ौद, कचनारिया कला, झनझनी, बंजारी सहजनपुर में खरीफ सीजन के बीच यूरिया खाद की भारी किल्लत बनी हुई है। कालाबाजारी की लगातार शिकायतों के बाद प्रशासन ने सख़्ती दिखाई थी, लेकिन दो दिन की औपचारिक कार्रवाई के बाद हालात जस के तस बने हुए हैं। किसान आज भी खाद के लिए भटक रहे हैं और मजबूर होकर पड़ोसी जिलों से महंगे दाम पर यूरिया ला रहे हैं।

निरीक्षण के बाद भी स्थिति जस की तस

कुछ दिन पहले किसानों की शिकायत पर जिला कलेक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर के निर्देश पर एसडीएम अभिमन्यु सिंह कुंतल ने कस्बे के एक खाद डीलर के गोदाम का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान किसानों को राहत देने के लिए कृषि विभाग की निगरानी में यूरिया वितरण के निर्देश दिए गए थे। लेकिन यह व्यवस्था महज दो दिन ही चल पाई। इसके बाद फिर से डीलरों की मनमानी शुरू हो गई और शिकायतें लगातार बढ़ती गईं। अब तो हालात यह हैं कि कई डीलर यूरिया मंगवाना ही बंद कर चुके हैं।

किसानों के आरोप – रात में बिकता है यूरिया, पेस्टिसाइड्स पर बिल तक नहीं

ग्रामीण किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग के उदासीन रवैये से कालाबाजारी बढ़ रही है। डीलर रात के समय गोदाम से चोरी-छिपे खाद बेचते हैं।कई डीलर पेस्टिसाइड्स पर बिल तक नहीं देते, जिससे किसानों को ठगा जा रहा है।जबरन अटैचमेंट और मनमानी दाम अब भी जारी हैं।

फिलहाल पड़ोसी जिलों पर निर्भर किसान

अपने जिले में खाद न मिलने से किसान अब झालावाड़ जिले के अकलेरा, मनोहरथाना सहित अन्य कस्बों से यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। एक किसान ने बताया कि –
“अपने गांव–कस्बे में खाद नहीं मिल रहा। हमें 25–30 किलोमीटर दूर से यूरिया लाना पड़ रहा है। इसमें समय, डीज़ल और पैसा सब बर्बाद हो रहा है।”

बारिश से चौपट हुई फसलें

यूरिया संकट के बीच किसानों पर बारिश की मार भी पड़ी है। लगातार अधिक बारिश से मक्का और सोयाबीन की फसलें चौपट हो चुकी हैं। खेतों में जलभराव के कारण कई जगह पौधे सड़ने लगे हैं। किसानों का कहना है कि इस बार की खरीफ सीजन में सैकड़ों बीघा फसल बर्बाद हो गई है।

मक्का और सोयाबीन की फसलें संकट में

इस समय मक्का और सोयाबीन की फसलें खाद की मांग पर हैं। समय पर यूरिया नहीं मिलने से सैकड़ों बीघा खेतों की फसल पर संकट मंडरा रहा है। किसान आशंका जता रहे हैं कि अगर तुरंत खाद नहीं मिला तो उत्पादन में भारी गिरावट आएगी।

प्रशासन की बेरुखी

प्रशासन का दावा है कि खाद वितरण पर सख़्ती से निगरानी की जा रही है, लेकिन हकीकत में किसान आज भी दर–दर भटक रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि प्रशासन बेपरवाह होकर बैठा है और विभागीय लापरवाही से डीलरों के हौसले बुलंद हैं।

आंदोलन की चेतावनी

किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे और किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं कराया गया तो वे सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे।

कृषि विभाग का बयान

कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी पुष्पेन्द्र नागर ने बताया कि “कस्बे का कोई डीलर यूरिया ऑर्डर नहीं कर रहा। जिनके ऑर्डर थे, उन्होंने भी रद्द कर दिया है। यदि एक–दो दिन में डीलरों ने यूरिया मंगवाना शुरू नहीं किया तो अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।”

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