मौलाना शाह आलम व मदरसा के बच्चो का किया सम्मान
काछोला 12 मार्च -स्मार्ट हलचल/कस्बे में जामा मस्जिद में माहे रमजान के पहले असरे पूरा होने पर जामा मस्जिद पेश इमाम मौलाना मोहम्मद शाह आलम व मदरसा के बच्चो व रोजेदारों का स्वागत किया। काछोला जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद शाह आलम ने रोजेदारों के सम्मान समारोह में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि की रमजान उल मुबारक तशरीफ लाये 10 दिन हो चुके है ।
रहमत वाला पहला असरा मंगल को पूरा होकर और दूसरा असरा शुरू हो रहा है।
यह महीना इबादत,रहमत और बरकत वाला महीना है। रमजान उल मुबारक में ही जहां कुरान शरीफ नाजिल हुआ वही तीन असरों के कारण भी यह खास महीना माना जाता है। रमजान के 30 दिनों को तीन हिस्से में बांटा गया है,असरा का अर्थ 10 दिन से है।
माह के पहले दस दिनों तक अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों की बारिश करता है। इसके बाद के दस दिन यानी दूसरे असरे में अल्लाह अपने बंदों के गुनाह माफ करता है, जबकि तीसरा असरा दोज़ख की आग से निजात दिलाता है।
मंगलवार को मौलाना मोहम्मद शाह आलम ने रोजेदारों को कहा कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नही है,रोजा एक ट्रेनिंग है अपनी ख्वाहिशों पर काबू पाने की,रोजा आंख,आंखों को बुराई देखने से बचाये,कान से बेहूदा बाते सुनने से बचाये,जबान से झूठ,गीबत,गन्दी बाते से ज़बान को बचाये,हाथ का बुरे कामो से बचे,पैर का बुरी जगहों पर जाने से बचे तब जाकर रोजा मुकम्मल होता है।
वही मौलाना आलम ने कहा की सामाजिक नज़रिए से भी रोजे का महत्व कम नहीं है, खानपान और रहन-सहन से जुड़ी तमाम पाबंदियों के बीच जहां रोजेदारों के बीच से समाज में सादगी, त्याग और संयम,भाईचारा,मोहब्बत का संदेश प्रसारित होता है।
मोहम्मद शाबिर ने बताया की रमजान के पहले असरे पर उस्मान गनी,असलम मोहम्मद रँगरेज ने उनके वालिद मरहूम नजीर मोहम्मद रँगरेज की बरसी पुण्य तिथि पर पेश इमाम शाह आलम का दस्तार बंदी व फूलों का हार पहनाकर व मदरसा के बच्चो द्वारा 40 दिन समय की पाबंदी के साथ नमाज पढ़ने वाले 15 बच्चो का सम्मान कर दीनी किताब भेंट की।
इस मौके पर कमालुद्दीन रँगरेज,मोहम्मद शाबिर रँगरेज,हाजी रमजान अली बिसायती, हाजी कासम मोहम्मद रँगरेज,बाबू मेवाती,अब्दुल सलाम रँगरेज,अब्दुल सत्तार बागवान,रफ़ीक़ मोहम्मद मंसुरी,उस्मान गनी रँगरेज,मुबारिक हुसैन मंसुरी,मुबारिक रँगरेज,असलम रँगरेज सहित आदि सैकड़ो रोजेदार मौजूद थे।