✍️राकेश मीना
देहरादून। स्मार्ट हलचल|विश्व प्रसिद्ध संस्था वैली ऑफ वर्ड के भव्य दिव्य साहित्यिक समारोह में इस वर्ष पहली बार संस्कृत भाषा पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। यह सत्र उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के संरक्षण, संवर्द्धन एवं प्रचार-प्रसार को समर्पित रहा।कार्यक्रम में उत्तराखंड सरकार के संस्कृत शिक्षा सचिव श्री दीपक कुमार गैरोला और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार की पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुधा रानी पांडेय ने वक्ता के रूप में विचार व्यक्त किए। सत्र की अध्यक्षता उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव डॉ. इंदु कुमार पांडेय ने की।
संस्कृत शिक्षा सचिव श्री गैरोला ने संस्कृत भाषा की महत्ता, सार्वकालिक एवं वैश्विक उपादेयता तथा आधुनिक समय में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक-एक संस्कृत ग्राम संचालित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यार्थियों के लिए विज्ञान एवं गणित विषयों की पढ़ाई शुरू कर दी गई है, जिससे वे भविष्य में JEE और NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भाग ले सकेंगे। साथ ही बताया कि हरिद्वार स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय में बालिकाओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था की जा रही है ताकि देश-विदेश की छात्राएं संस्कृत अध्ययन के लिए हरिद्वार आ सकें।
गैरोला ने यह भी कहा कि संस्कृत को रोज़गार से जोड़ने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए सरकार विदेशों में भी प्रयासरत है। आने वाले समय में मंत्र चिकित्सा पर अनुसंधान और अल्पसंख्यक समाज के विद्यार्थियों को संस्कृत सिखाने के कार्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे।
परिचर्चा में प्रो. सुधा रानी पांडेय ने कहा कि संस्कृत केवल पूजा-पाठ की भाषा नहीं है, बल्कि अनुसंधान और ज्ञान-विज्ञान की आधारशिला है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड प्राचीनकाल से ही संस्कृत अध्ययन का केंद्र रहा है। जैसे यहाँ से गंगा भारत को सींचती है, वैसे ही यहाँ से प्रवाहित संस्कृत ज्ञानगंगा विश्व को दिशा दे सकती है।”
सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. इंदु कुमार पांडेय ने संस्कृत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि आज संस्कृत को पुनः उसका योग्य सम्मान प्राप्त हो रहा है।
कार्यक्रम में वैदिक मंगलाचरण गुरुकुल पौधा, देहरादून के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, उपकुलसचिव दिनेश कुमार, शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. प्रकाश चंद्र पंत, सहायक निदेशक डॉ. वाजश्रवा आर्य, डॉ. नवीन पंत, डॉ. राम भूषण विजलवन, डॉ. आनंद मोहन जोशी, मनोज कुमार शर्मा सहित आर्ष कन्या गुरुकुल देहरादून और गुरु राम राय संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षक तथा अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।


