काछोला में धूमधाम से निकाली गई लोक देवता घास भैरू की सवारी,
बीमारियां दूर होने और अच्छी बारिश की है मान्यता
काछोला 15 जुलाई -स्मार्ट हलचल/कस्बे में बरसों से चली आ रही है परंपरा,सारे गांव वाले मिलकर निकालते हैं रविवार शाम को भेरु जी की सवारी/घास भैरू निकालने की परंपरा काछोला में वर्षों से चली आ रही है। कस्बे के वंश प्रदीप सिंह सोलंकी ने बताया कि गांव में खुशहाली और बीमारियों से रक्षा के लिए घास भेरू की सवारी निकाली जाती हैं। मान्यता के अनुसार उसके लिए गांव में जगह जगह मंदिरों के बाहर औषधी मेखला बांधी जाती थी। घास भेरू की सवारी जब इन मेखलाओं के नीचे से गुजरती थी तो उसके पीछे सारे गांव के लोग भी गुजरते थ। इन मेखलाओ में विभिन्न जड़ी बूटियों और आयुर्वेदिक वृक्षों की पत्तियों को बांधा जाता था। जिसके नीचे गुजारने से कई मौसमी रोग ठीक हो जाया करते थे। कहा जाता था कि गांव के चारों ओर इस तरह कि मेखला बांधने से कोई भी महामारी गांव में नहीं आती थी। घास भैरू एक बड़ा सा पत्थर का बना होता है जिसके ऊपर कामी पाठा लगाया होता है। इसे लकड़ी के टुकड़ों पर सवार कर सारे गांव वाले अपने बेलों के साथ इसे खींचते हुए गांव के एक छोर से दूसरे छोर पर ले जाते हैं। लेकिन अब ग्रामीणों की मदद से घास भैरु को खींचा जाता है।
कस्बे में सदर बाजार स्तिथ घास भैरु के स्थान पर घास भेरू की विशेष पूजा अर्चना की जाती है सारे गांव वाले कामी,नारियल,अगरबत्ती सहित आदि पूजा सामग्री से की जाती है,माना जाता है कि घास भैरू गांव की प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से रक्षा करता है।
जयकारों के उद्घोष से मनाया जाता है घास भैरु को -जानकारी के अनुसार रविवार देर शाम पूजा अर्चना कर घास भेरू को एक छोर से दूसरे छोर ले जाया जाता है ग्रामीणों की मदद से घास भैरु को खींचा जाता है। कभी सवारी आसानी से निकलती है तो कभी घास भेरू अड़ जाते हैं। फिर शुरू होता है मनाने का दौर घांस भेरू पर पूजा अर्चना कर,नारियल चढ़ाकर जयकारों का उद्घोष कर घांस भेरू को मनाया जाता है। उसके बाद फिर घास भैरव की सवारी आगे बढ़ने लगती है। जोश उमंग के साथ घास भैरू को दूसरे छोर तक ले जाकर पुनः मुख्य स्थान पर लाकर कार्यक्रम का समापन होता है।
घास भैरुजी महाराज की महाआरती कर प्रसाद का वितरण-
कस्बे में रविवार शाम को घांस भैरु की सवारी निकाली। वर्षो से चली आ रही इस धार्मिक परम्परा का निर्वाह किया जाता है। सदर बाजार स्तिथ हनुमान मंदिर के पास में घास भैरु से सुख, समृद्धि खुशहाली की कामना को लेकर घांस भेरू की प्रतिमा की पूजा अर्चना कर सवारी शुरू होकर कस्बे के अंदर चक्कर लगाते हुए मुख्य स्थान पर पहुंची। जहां भैरू जी महाराज की महाआरती कर प्रसाद वितरण के साथ सवारी का समापन हुआ। श्रद्धालुओं ने सवारी के रास्ते मे विभिन्न चौक चौराहों पर घास भैरु जी की प्रतिमा पर तेल, सिंदूर,नारियल, अगरबत्ती चढ़ाकर मन्नत मांगी।
इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए निकाली सवारी –
समाज सेवी वंश प्रदीप सिंह सोलंकी ने बताया कि कस्बे में रविवार को लोक देवता घास भैरू की सवारी निकाली गई, मान्यता है कि इनकी सवारी निकालने से क्षेत्र में बीमारियां नहीं फैलती हैं और अच्छी बारिश होती है, जिससे फसलें लहलहाने लगती हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार, बारिश के देवता इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए कहीं हल चलाया जाता है तो कहीं यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं लेकिन काछोला इलाके में लोक देवता घास भैरू की सवारी निकाली जाती है. माना जाता है कि इससे घास भैरू इंद्र देव के पास जाकर बारिश करवाते हैं।