खेल की कोई भाषा नहीं होती
*स्थानीय टीम ने दृढ़ता और टीमवर्क का परिचय
(हरिप्रसाद शर्मा)
पुष्कर/ अजमेर/स्मार्ट हलचल|विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आकर्षणों के लिए जाना जाता है, बल्कि यह खेल और मनोरंजन की गतिविधियों से भी सराबोर रहता है।
गुरुवार को मेला मैदान में एक अनोखा और रोमांचक फुटबॉल मुकाबला देखने को मिला, जिसमें विदेशी सैलानियों की टीम ने स्थानीय खिलाड़ियों के साथ मैत्री मैच खेला। यह मुकाबला खेल भावना और उत्साह से भरपूर रहा, जिसने दर्शकों को तालियों की गड़गड़ाहट से झूमने पर मजबूर कर दिया।
फुटबॉल मैच की शुरुआत होते ही दोनों टीमों ने जोश के साथ मैदान में उतरकर खेल का शानदार प्रदर्शन किया। विदेशी सैलानियों की टीम ने बेहतरीन पासिंग और आक्रामक रणनीति से शुरुआत की, लेकिन स्थानीय टीम ने दृढ़ता और टीमवर्क का परिचय देते हुए मुकाबले को अपने पक्ष में कर लिया। पहले हाफ में विदेशी टीम ने एक गोल की बढ़त बना ली थी, मगर दूसरे हाफ में स्थानीय खिलाड़ियों ने वापसी करते हुए लगातार दो गोल दागकर 2-1 से जीत दर्ज की। पूरे मैच के दौरान दर्शकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।विदेशी सैलानियों ने खेल भावना का परिचय देते हुए हार के बावजूद स्थानीय खिलाड़ियों को बधाई दी।
मेले के इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य खेल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मैत्री और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था। पुष्कर मेला हर साल देश-विदेश के हजारों सैलानियों को आकर्षित करता है और इस तरह के आयोजनों से मेला केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है। मैच के समापन अवसर पर दोनों टीमों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह में उपस्थित अजमेर पशुपालन विभाग के अधिकारी कुलदीप अग्रवाल ने बताया कि पुष्कर मेले के शुभारंभ के साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं की शृंखला शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि मांडणा प्रतियोगिता और फुटबॉल मैच जैसे कार्यक्रम मेले को और भी जीवंत बना रहे हैं।
अग्रवाल ने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल स्थानीय युवाओं में खेल भावना को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि विदेशी सैलानियों को भारतीय संस्कृति, आतिथ्य और लोक परंपराओं से रूबरू होने का अवसर भी प्रदान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुष्कर मेला केवल पशु व्यापार का केंद्र नहीं रहा, बल्कि अब यह राजस्थान की जीवंत संस्कृति, कला और खेल कौशल का भी परिचायक बन चुका है।
यह फुटबॉल मैच ने यह साबित कर दिया कि खेल की कोई भाषा नहीं होती। मैदान पर केवल जुनून, दोस्ती और आनंद की भावना होती है, जिसने आज पुष्कर मेला मैदान में एक यादगार पल रच दिया।


