देशभर में एक साथ चुनाव कराने की योजना यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर विचार के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की अगली महत्वपूर्ण बैठक 11 जुलाई को होगी। बैठक के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेएस खेहर समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे। यह बैठक नई दिल्ली स्थित संसद भवन एनेक्सी में आयोजित की जाएगी। इस बैठक का उद्देश्य ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर गहन विचार-विमर्श करना है, जो देश में एकसमान और एकसाथ चुनाव की दिशा में अहम कदम माने जा रहे हैं। बैठक में भाग लेने वाले अन्य प्रमुख विशेषज्ञों में पूर्व राज्यसभा सांसद और संसद की विधि और न्याय से जुड़ी स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ईएम सुधर्शन नचियप्पन शामिल होंगे। उनके अलावा डॉ. वीरप्पा मोइली, जो कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष और संसद की वित्त समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, वे भी समिति से संवाद करेंगे और अपने सुझाव देंगे।
इससे पहले, जेपीसी के चेयरपर्सन पीपी चौधरी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर अलग-अलग राज्यों में लोगों और विशेषज्ञों से मुलाकात कर विचार-विमर्श किया। उन्होंने महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ (केंद्रशासित प्रदेश) का दौरा किया और स्थानीय हितधारकों से चर्चा की। दिल्ली में भी आयोजित बैठकों में पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, रंजन गोगोई और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीशों और विशेषज्ञों से बातचीत की गई।
पीपी चौधरी ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि समिति की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए एक वेबसाइट तैयार की जा रही है, जिसमें क्यूआर कोड की सुविधा भी होगी। इस वेबसाइट के जरिए देश के सभी नागरिक, विशेषज्ञ, संगठन और अन्य हितधारक अपने सुझाव सीधे समिति तक पहुंचा सकेंगे। उन्होंने बताया कि तकनीकी कारणों से वेबसाइट को स्थिर और क्रैश-फ्री बनाने में थोड़ा समय लग रहा है, लेकिन इसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इसके अलावा सभी भारतीय भाषाओं में विज्ञापन जारी किए जाएंगे ताकि हर नागरिक को अपनी राय रखने का मौका मिले।
चौधरी ने यह भी कहा कि समिति में भले ही अलग-अलग विचार हों, लेकिन अंततः सभी सदस्य राष्ट्रहित में एकमत होंगे क्योंकि यह विषय देश के लोकतांत्रिक भविष्य से जुड़ा है। उन्होंने दोहराया कि सभी नेता देश के लिए सोचते हैं और जब सही समय आएगा, तो वे मिलकर इस ऐतिहासिक निर्णय पर सहमति बनाएंगे।