(महेन्द्र नागौरी)
भीलवाड़ा / जयपुर /स्मार्ट हलचल/सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में चर्चित रहे भ्रष्टाचार के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट पेश कर स्वीकार करने का आग्रह किया। इसकी जानकारी होने पर शिकायतकर्ता डॉक्टर टीएन शर्मा ने अपने अधिवक्ता पूनम चन्द भंडारी और इंद्रजीत कथूरिया के साथ उपस्थित होकर निवेदन किया कि वह इस मामले में परिवादी है, क्योंकि उसकी शिकायत पर ही मुकदमा दर्ज हुआ था। उन्होंने कहा कि एसीबी के जांच अधिकारी ने मिलीभगत करके एफआर प्रस्तुत की है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर यह बताने का आदेश दिया कि क्या टी. एन. शर्मा ने इस मामले में शिकायत प्रस्तुत की।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने न्यायालय को जवाब दिया कि शिकायत डॉ. टी. एन. शर्मा ने ही शिकायत की थी। उसकी शिकायत को भी कोर्ट में भेजा। लेकिन, न्यायालय ने बहस सुनने के उपरांत बिना पत्रावली का अध्ययन किए एफआर को स्वीकार कर लिया। इससे व्यथित होकर राजस्थान उच्च न्यायालय में फौजदारी निगरानी प्रस्तुत की गई।
अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी और इंद्रजीत कथूरिया ने न्यायालय को बताया कि डॉ. टी एन शर्मा ने दिसंबर 2019 में एसीबी के अधीक्षक को व्यक्तिगत मिलकर सूचना प्रोद्योगिकी और संचार विभाग के तत्कालीन उप निदेशक कुलदीप यादव की शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि कुलदीप यादव ने साल 2013 में नौकरी ज्वाइन की और 5 साल के समय में करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित कर ली है। इस शिकायत पर एसीबी द्वारा जांच करवाई गई और शिकायत सही पाए जाने पर कुलदीप यादव के घर छापा मारा गया, जहां आलीशान और भव्य सामान और करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति मिलीl
जांच में पता चला कि कुलदीप यादव ने करोड़ो रुपए अपनी पत्नी आशा यादव के खाते में जमा करवाए और पांच वर्ष के कार्यकाल में ही अकूत संपत्ति जमा की जो कि कुलदीप यादव की कुल तनख्वाह से कहीं अधिक पाई गई। बाद में एसीबी के अधिकारियों ने मिलीभगत जांच में कोताही बरतकर रिपोर्ट में बताया कि कुलदीप यादव की पत्नी को उसके पिता ने करीब 90 लाख रुपए उपहार में दिए थे। 15 लाख रुपए खुद के खाते में लिए जिसे उपहार बताया। यही नहीं एक करोड़ 35 लाख का फ्लैट खरीदा और करोड़ों रूपए उसकी साज सज्जा में लगाए।
एसीपी राजेश जांगिड़ ने अपने बयान में बताया कि कुलदीप यादव ने भ्रष्ट तरीके से करोड़ों की सम्पत्ति बनाई है लेकिन एसीबी कोर्ट ने इन तथ्यों पर गौर किए बिना ही मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने बहस सुनकर आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसे संगीन मामले में फाइनल रिपोर्ट देना और जांच अधिकारी के द्वारा न्यायालय से एफआर को स्वीकार करने का निवेदन करना आश्चर्यजनक है। जबकि एसीपी के बयान से स्पष्ट है कि आरोपी ने भ्रष्टाचार के जरिए करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित की है।
इस संगीन मामले में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी। न्यायाधीश ने 6 सितंबर 2024 को अगली तारीख पर एसीबी के महानिदेशक और अनुसंधान अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए।