शीतल निर्भीक
देवरिया।स्मार्ट हलचल|माटी से जुड़े सपनों की सच्ची तस्वीर उस समय सामने आई जब मईल थाना क्षेत्र के बगहां गांव निवासी अरुण कुमार मिश्र, उच्च न्यायालय प्रयागराज के न्यायमूर्ति बनने के बाद पहली बार अपने गृहजनपद देवरिया और अपने पैतृक गांव पहुंचे। यह क्षण केवल एक व्यक्ति के घर लौटने का नहीं था, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व, आत्मसम्मान और न्याय की उम्मीद का उत्सव बन गया। गांव की गलियों में उत्साह था, आंखों में अपनापन और चेहरों पर वह खुशी थी, जो अपने बीच से निकले व्यक्ति को न्याय के सर्वोच्च आसन पर देखकर स्वाभाविक रूप से छलक पड़ती है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्र का ग्रामीणों और क्षेत्रीय लोगों ने पूरे सम्मान, गरिमा और भावनात्मक जुड़ाव के साथ भव्य स्वागत किया। यह स्वागत केवल पुष्पमालाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उस विश्वास का प्रतीक बना कि गांव की साधारण जमीन से निकलकर भी असाधारण मुकाम हासिल किया जा सकता है। ग्रामीणों ने उन्हें गांव का गौरव बताते हुए कहा कि उनकी सफलता ने युवाओं के लिए एक मजबूत प्रेरणा प्रस्तुत की है। स्वागत कार्यक्रम में बनारसी मिश्र, कौशल किशोर मिश्र, विजय मिश्र, प्रानू मिश्र, अच्छेलाल कुशवाहा, रामबेलास तिवारी, लाल साहब तिवारी, मानवेन्द्र मिश्रा, कन्हैया तिवारी, अमरेश यादव, अजय मिश्रा, आनंद मिश्र, आलोक यादव, अंकित मिश्रा, जयकिशोर गोड, पारुल यादव, धीरज मिश्र, रवीशंकर तिवारी, जितेन्द्र पटेल और राजन यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। सुरक्षा और व्यवस्था की दृष्टि से थानाध्यक्ष राकेश सिंह, एसएसआई महेंद्र यादव पुलिस बल के साथ कार्यक्रम स्थल पर तैनात रहे, जिससे आयोजन पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण बना रहा। इस अवसर पर न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्र ने सभी ग्रामीणों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी पहचान आज भी उसी गांव की मिट्टी से जुड़ी है, जहां से उन्होंने जीवन की शुरुआत की। उन्होंने युवाओं से शिक्षा, संविधान और न्याय के मूल्यों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि न्याय केवल अदालतों की दीवारों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर व्यवहार और हर निर्णय में झलकना चाहिए। उनके विचारों ने गांव के बच्चों और युवाओं के मन में नई ऊर्जा और नए सपने जगा दिए। यह आगमन बगहां गांव के लिए केवल एक दिन की घटना नहीं रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश बन गया कि सच्चाई, परिश्रम और नैतिकता के रास्ते पर चलकर कोई भी व्यक्ति न्याय के शिखर तक पहुंच सकता है।


