किशन खटीक/
रायपुर 24 जुलाई -राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) को विद्यालयों में प्रभावी रूप से लागू करने के उद्देश्य से दो दिवसीय क्लस्टर स्तरीय कार्यशाला का आयोजन राजकीय महाराणा उच्च माध्यमिक विद्यालय, रायपुर में किया गया !
इस कार्यशाला में पीईईओ रायपुर के अधीन 4 पीईईओ विद्यालयों के शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ क्लस्टर प्रभारी पीईईओ रमेश चांवला,दक्ष प्रशिक्षक व्याख्याता मातादीन गुर्जर एवं वरिष्ठ अध्यापक नवीन कुमार बाबेल द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में मातादीन गुर्जर ने एफएलएन की व्यापक अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों की पढ़ने, लिखने और गणना करने की बुनियादी क्षमता उनके सम्पूर्ण शैक्षणिक जीवन की नींव है। उन्होंने नई एफएलएन आधारित पाठ्यपुस्तकों की विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की तथा शिक्षकों को बताया कि कैसे इन पुस्तकों के माध्यम से बच्चों की समझ, कल्पनाशक्ति और चिंतन क्षमता को विकसित किया जा सकता है।
उन्होंने शिक्षकों को सुझाव दिया कि वे कक्षा शिक्षण को अधिक संवादात्मक, सहभागी और बच्चों के स्थानीय परिवेश से जुड़ा बनाएं। पीईईओ रमेश चांवला ने कहा कि जब बच्चों को सीखने का तरीका रोचक लगे,तो वे स्वतः ही रुचि लेने लगते हैं। उन्होंने शिक्षकों की जमीनी चुनौतियों को समझते हुए व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत किए।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में दक्ष प्रशिक्षक नवीन कुमार बाबेल ने “खेल-खेल में गणित” विषय पर आधारित गतिविधियों के माध्यम से बताया कि गणित जैसे कठिन माने जाने वाले विषय को रोचक व तनावमुक्त तरीके से बच्चों को कैसे सिखाया जा सकता है। उन्होंने खेल आधारित शिक्षण विधियों का प्रदर्शन कर शिक्षकों को प्रेरित किया।
दक्ष प्रशिक्षक नवीन कुमार बाबेल ने उपस्थित शिक्षकों को नवाचार और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि एफएलएन के लक्ष्यों की प्राप्ति में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विभागीय योजनाओं को समयबद्ध रूप से लागू करने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए।
कार्यशाला के समापन अवसर पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्रीमान नवरत्न मल दाधिच ने अपने प्रेरक संबोधन में सभी शिक्षकों से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण एवं आनंददायक शिक्षा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल विषय ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों को संजोने की प्रक्रिया है।
इस अवसर पर पीईईओ अधीनस्थ 4 पीईईओ के सभी विद्यालयों से आए शिक्षकों ने भाग लिया और एफएलएन क्रियान्वयन की दिशा में अपने अनुभव साझा किए।