Homeभीलवाड़ाफूलडोल महोत्सव पर प्रशासन व सरकार की उदासीनता, श्रद्धालु सुविधाओं को तरसे

फूलडोल महोत्सव पर प्रशासन व सरकार की उदासीनता, श्रद्धालु सुविधाओं को तरसे

शाहपुरा (भीलवाड़ा), मूलचंद पेसवानी

शाहपुरा में 260 वर्षों से मनाया जा रहा रामस्नेही संप्रदाय का फूलडोल महोत्सव श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु देशभर से यहां पहुंचते हैं, महोत्सव आज से प्रारंभ हो चुका है. लेकिन स्थानीय प्रशासन व राज्य सरकार की ओर से महोत्सव को लेकर अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। स्थानीय प्रशासन व नगर परिषद के मध्य आपसी समन्वय के अभाव में पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों की अभी तक व्यवस्थाएं नहीं जुटाई जा सकी है.

सिर्फ नगरपालिका और पुलिस कर रहे इंतजाम
महोत्सव के दौरान रामनिवास धाम के बाहर साफ-सफाई, जल आपूर्ति और अन्य मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी सिर्फ नगरपालिका प्रशासन निभाता है। वहीं, शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया जाता है। परंतु, राज्य सरकार की ओर से इस ऐतिहासिक उत्सव के लिए कोई विशेष सहायता नहीं मिलती है। गति दोनों शाहपुरा के उपखंड अधिकारी भारत जयप्रकाश की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर विभिन्न बिंदुओं पर आम सहमति व्यक्ति की गई परंतु उपखंड अधिकारी के यहां से स्थानांतरित हो जाने के कारण फुलिया कला के उपखंड अधिकारी को शाहपुरा का कार्यभार सोपा गया है, इस कारण महत्व का शुभारंभ हो जाने के बाद भी अब तक व्यवस्थाओं को नहीं जुटाया गया है.

देवस्थान विभाग की निष्क्रियता
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार के देवस्थान विभाग ने कुछ वर्षों पूर्व फूलडोल महोत्सव को प्रदेश स्तरीय महोत्सव घोषित कर दिया था। लेकिन, विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते अब तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। रामनिवास धाम ट्रस्ट गठन के समय से ही देवस्थान विभाग में पंजीकृत है, बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई वित्तीय सहायता या व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया गया है।

भीलवाड़ा जिला प्रशासन के वार्षिक कैलेंडर में भी नहीं मिला स्थान
राज्य सरकार की उपेक्षा का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भीलवाड़ा जिला प्रशासन के वार्षिक आयोजन कैलेंडर में इस ऐतिहासिक महोत्सव का उल्लेख तक नहीं किया गया। इससे न केवल प्रशासनिक उदासीनता झलकती है, बल्कि शाहपुरा की सांस्कृतिक धरोहर को भी अनदेखा किया जा रहा है।

केवल एक बार एडीएम को बनाया गया था मेला मजिस्ट्रेट
इतिहास में अब तक सिर्फ एक बार किसी एडीएम (अपर जिला कलेक्टर) को मेला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था। उसके बाद प्रशासन की रुचि खत्म हो गई और अब केवल उपखंड अधिकारी (एसडीएम) औपचारिक बैठक कर खानापूर्ति कर देते हैं। वर्तमान में जिला प्रशासन की ओर से किस अधिकारी को मेला प्रभारी अथवा मेला अधिकारी नियुक्त किया गया है इसकी भी सूचना आम जनता को अभी तक नहीं मिली है. उधर नगर परिषद की ओर से की जा रही व्यवस्थाओं के संबंध में भी नगर परिषद का प्रशासन आधिकारिक रूप से कुछ भी जानकारी नहीं दे रहा है.

श्रद्धालुओं में रोष, सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग
शाहपुरा के श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में इस उदासीन रवैये को लेकर भारी नाराजगी है। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि फूलडोल महोत्सव को औपचारिकता नहीं, बल्कि संपूर्ण सरकारी सहयोग मिले। नगर पालिका और पुलिस प्रशासन के सीमित संसाधनों के बावजूद व्यवस्थाएं की जा रही हैं, लेकिन राज्य सरकार को इस पर गंभीरता से विचार कर स्थायी सुविधाएं विकसित करनी चाहिए।

यदि जल्द ही सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती है, तो श्रद्धालुओं और रामस्नेही संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध दर्ज कराने की संभावना बन सकती है।

इस संबंध में नगर परिषद के सभापति रघुनंदन सोनी ने बताया कि पूर्ववर्ती बैठकों में लिए गए निर्णय की पालना स्थानीय अधिकारियों को की जानी थी बाईपास को चालू करने सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए स्थानीय ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को पाबंद किया गया था. उन्होंने बताया कि नगर परिषद की अपने जिम्मे की व्यवस्थाएं जुटाई जा चुकी है. नगर परिषद की ओर से अब तक किए गए इंतजाम की आधिकारिक जानकारी नहीं दिए जाने के सवाल पर सभापति ने कहा कि नगर परिषद के कनिष्ठ अभियंता कुलदीप जैन को मेला अधिकारी नियुक्त किया गया है.

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