गंगापुर – सांस्कृतिक विरासत पुरुष गैर नृत्य जो की दिनों दिन लुप्त होता जा रहा है गंगापुर शहर में माली समाज के तत्वाधान में इन दिनों गैर नृत्य का सफल आयोजन किया जा रहा है। आयोजन टीम के सोनू बागवान ने बताया कि यह नृत्य होली के दूसरे दिन से प्रारंभ होता है तथा 15 दिन तक चलता है। इन दिनों में मेवाड़ और मारवाड़ में इस नृत्य की धूम मची हुई है। इस नृत्य को देखने से ऐसा लगता है मानो तलवारों से युद्ध चल रहा हो। यदि घूमर लोकनृत्यों की रानी है तो गैर नृत्य लोकनृत्यों का राजा है। यह मारवाड़ एवं मेवाड़ अंचल का प्रमुख लोकनृत्य है।
रामप्रसाद माली ने बताया कि मेवाड़ और मारवाड़ के गैर की मूल रचना एक ही प्रकार की है किंतु नृत्य की लय, चाल और मण्डल में अंतर होता है। अधिकतर स्थानों पर जातियों के अनुसार गैर टोलियां बनी हुई हैं।
गोल घेरे में इस नृत्य की संरचना होने के कारण यह ‘घेर’ और कालांतर में ‘गैर’ कहा जाने लगा।
नृत्य की सारी प्रक्रियाएं और पद संचालन तलवार युद्ध और पटेबाजी जैसी लगती हैं। अब तलवारों की जगह डांडिया अधिक प्रयुक्त होने लगा हैं। परम्परागत रूप से यह केवल पुरुषों का नृत्य है । पुरुष गैर नृत्य हमारी सांस्कृतिक विरासत है और इसे हम हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी होली के त्यौहार के बाद गणगौर तक खेलते हैं रात्रि के समय खेले जाने वाले गैर नृत्य में सभी पुरुष भाग लेते हैं।