1 अप्रैल को शाहीलवाजमें के साथ निकलेगी गणगौर की सवारी
पावटा,स्मार्ट हलचल/होली के पर्व के बाद क्षेत्र में सुहाग का प्रतीक माने जानी वाली गणगौर की धूम देखने को मिल रही है। राजशाही के पहले से चला आ रहा गणगौर का पर्व ना सिर्फ विवाहित महिलाऐं बल्कि कुवांरी कन्याऐं भी हर्षोल्लास के साथ मनाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विवाहित महिलाऐं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए गणगौर का व्रत और विशेष पूजा करती है तो कुवांरी कन्याऐं अच्छे वर की कामना में गणगौर का पूजन करती है और व्रत रखती है। होलिका दहन के अगले दिन से नव विवाहिताऐं व कुवांरी कन्याऐं गणगौर पूजने में लगी है। कन्याऐं एवं नवविवाहित महिलाऐं सवेरे – सवेरे इक्क्ठा होकर सुन्दर- सुन्दर मंगल गीत गाते हुए बगीचों में जाकर फूल, दूब एवं जल भरकर लाती है। और ईसर के रुप में भगवान शिव तथा गौर के रूप में माता पार्वती का पूजन करती है। होलिका दहन की राख से महिलाऐं पिण्डी बनाकर उनकी पूजा करती है। फिर सात दिन बाद शीतला अष्टमी को सज धज कर कुम्हार के घर जाकर मिट्टी से बने ईसर व गणगौर को घर लाकर उनकी पूजा करती है। इन दिनों सवेरे सवेरे कस्बे की गलियों में चारों तरफ गणगौर माता के मंगल गीत सुनने को मिल रहे हैं। गणगौर मेले को लेकर तैयारियां प्रारम्भ हो गई कस्बे के ठाकुरों की हवेली निकलने वाली गणगौर की शाही सवारी के लिए महिलाऐं ईसर – गणगौर को तैयार करने में लगी है। 1 अप्रैल को कस्बे स्थित ठाकुरों की हवेली से शाहीलवाजमे के साथ ईसर गणगौर की सवारी निकाली जायेगी।