पोलियो वायरस संक्रमण से बचाव के उपराष्ट्रीय अभियान पर भी सभी कर्मचारियों को दिया गया महत्वपूर्ण मार्गदर्शन।
शाहपुरा@(किशन वैष्णव )प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राज्यास पर चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ. चेना राम कुमावत द्वारा विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में होने वाले एनीमिया के लक्षणों पर विस्तृत चर्चा करके इस एनीमिया से छुटकारा पाने हेतु विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में फ़ैरिक कार्बोसीमाल्टोज इंजेक्शन का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि एनीमिया गर्भवती महिलाओं में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसके कारण प्रसव संबंधी जटिलताएँ, कमजोरी, समय से पहले प्रसव और नवजात शिशु का कम वजन जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं। इसलिए समय पर एफसीएम इंजेक्शन देना माँ और शिशु दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी है।प्रशिक्षण के दौरान नर्सिंग ऑफिसर, सीएचओ, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा सुपरवाइजर, आशा सहयोगिनी एवं समस्त चिकित्सा विभाग के कर्मचारी मौजूद रहे। डॉ. कुमावत ने इंजेक्शन की डोज़, लगाने की विधि, संभावित दुष्प्रभावों की पहचान, मरीज की निगरानी, रूटीन फॉलो-अप और रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया पर भी विस्तार से जानकारी दी, ताकि सभी स्वास्थ्य कर्मी इसे सुरक्षित तरीके से लागू कर सकें।डॉ. कुमावत द्वारा समस्त कर्मचारियों को 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों में पोलियो वायरस के संक्रमण को पड़ोसी देशों से फैलने की शंका को रोकने हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे उपराष्ट्रीय कार्यक्रम पर पल्स पोलियो दवाई पिलाने हेतु भी प्रशिक्षण दिया।
उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर पोलियो लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन पड़ोसी देशों में अब भी इसके स्पोर्डिस केस सामने आते हैं, जो भारत के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। ऐसे में हर बच्चे को पल्स पोलियो की खुराक पिलाना अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने कर्मचारियों को बूथ प्रबंधन, घर-घर जाकर छूटे हुए बच्चों को कवर करना, ड्रॉपआउट सूची तैयार करना, टीमों की जिम्मेदारियाँ, टीकाकरण के दौरान स्वच्छता, तथा लोगों को जागरूक करने के तरीकों पर भी मार्गदर्शन दिया। डॉ. कुमावत ने कहा कि पोलियो से बचाव की सबसे बड़ी शक्ति सिर्फ दो बूंदें हैं, और इन दो बूंदों की जिम्मेदारी हम सबकी है।स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित इस प्रशिक्षण का उद्देश्य क्षेत्र में मातृ स्वास्थ्य और बाल स्वास्थ्य को मजबूत करना तथा एनीमिया व पोलियो जैसे दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्वास्थ्य कर्मियों को सशक्त बनाना था। उपस्थित कर्मचारियों ने भी प्रशिक्षण को उपयोगी बताते हुए क्षेत्र में इसे प्रभावी रूप से लागू करने का संकल्प लिया।


