नवाचार से रेलवे की पटरियों पर दौड़ेगी नई उम्मीदें…..
(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
गोरखपुर।स्मार्ट हलचल|शनिवार को पूर्वोत्तर रेलवे का महाप्रबंधक पदभार संभालकर भारतीय रेल प्रबंधन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी उदय बोरवणकर सुर्खियों में आ गए। रेलवे परिवार में उत्साह है और यात्रियों में यह उम्मीद कि अब नई तकनीक, बेहतर प्रबंधन और आधुनिक सुविधाओं का दौर और तेज होगा। उदय बोरवणकर का नाम भारतीय रेल में नवाचार और तकनीकी क्रांति से जुड़ा रहा है।
1985 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस के रूप में चयनित होकर उन्होंने रेलवे में अपना करियर शुरू किया था। जमालपुर स्थित भारतीय रेल यांत्रिक इंजीनियरिंग संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने मुंबई से एमबीए किया। आगे चलकर उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस हैदराबाद और इटली के मिलान स्थित बोक्कोनो स्कूल ऑफ बिजनेस से बिजनेस मैनेजमेंट का प्रशिक्षण लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने ऑस्ट्रिया की ग्राज यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में भी विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया।
पिछले 35 वर्षों में उन्होंने भारतीय रेल के कई अहम मोर्चों पर अपनी छाप छोड़ी है। मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे, दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे और पश्चिम मध्य रेलवे में विभिन्न पदों पर काम करने के साथ-साथ उन्होंने रेलवे बोर्ड और खान मंत्रालय में भी अपनी सेवाएं दीं। नागपुर मेट्रो में परिचालन और प्रबंधन के प्रभारी के रूप में उनका कार्यकाल बेहद चर्चित रहा। भोपाल में मंडल रेल प्रबंधक रहते हुए उन्होंने कई सुधार लागू किए। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे में प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर के रूप में भी वे अपनी दक्षता साबित कर चुके हैं।
उनका सबसे उल्लेखनीय योगदान आरडीएसओ के महानिदेशक रहते हुए सामने आया। भारतीय रेल में तकनीकी बदलाव की जब बात होती है, तो बोरवणकर का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। कवच प्रणाली की शुरुआत, वंदे भारत ट्रेनें, हाइड्रोजन ट्रेन का खाका, एआई और ड्रोन आधारित तकनीक का प्रयोग और ‘डास’ (डी.ए.एस.) जैसे अभियानों का सफल संचालन उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व का प्रमाण है।
तकनीकी और प्रबंधकीय दृष्टि से उत्कृष्ट होने के साथ-साथ वे बहुआयामी व्यक्तित्व भी हैं। गहरे पाठक, प्रखर वक्ता, जैविक खेती के समर्थक, फोटोग्राफी और भारतीय संगीत के प्रेमी—यह सब उनके जीवन का हिस्सा है। रेलवे सेवा के साथ-साथ उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, हरित ऊर्जा और गुणवत्ता प्रणाली प्रबंधन को भी हमेशा अपनी प्राथमिकता दी है।
अब जब उन्होंने गोरखपुर मुख्यालय से पूर्वोत्तर रेलवे की कमान संभाल ली है, तो कर्मचारियों और यात्रियों दोनों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उनका अनुभव और नवाचार इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। उनके आने से उम्मीद है कि न सिर्फ रेलवे की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि सेवा की गुणवत्ता भी और बेहतर होगी।इस आशय की जानकारी मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने मीडिया को दी।


