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गौ पुजन और बच्छ बारस पर विशेष….ट्रेन की पटरियों पर कब रूकेगा, गौ वंश की मौत का सफर..ट्रेन से शिकार होने वाले गौ वंश के प्रति कब गंभीर होंगे

भीलवाड़ा । राजेश जीनगर
शहर में गत् दिनों हुई एक घटना ने गौ भक्तो और सेवकों के खुन में उबाल भले ही लाकर रख दिया हो, लेकिन इसी घटना ने गौ वंश की सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल खड़े किए हैं की शहरी क्षेत्र में तो गौ वंश के साथ जुड़ी इस तरह की घटनाओं का तो फिर भी किसी ना किसी तरह से पता चल जाता है। लेकिन, पटरियों पर गौ वंश की मौत का सफर कब रूकेगा और इसे रोकने के लिए गौ सेवक व रेलवे कब और क्या कदम उठाएगी। ये विचारणीय है! वहीं अक्सर सुनने और देखने में ट्रेन से पशु कटने की घटना सामान्य लगती है, लेकिन असल में ट्रेन से पशु कटने पर रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। जब भी पशु कटने के बाद ट्रेन रुकती है तो बिजली या डीजल का खर्च बढ़ जाता है‌। पैसेंजर और गुड्स ट्रेन से जानवर कटने का खर्च अलग-अलग है. दो-तीन साल में ट्रेन से पशु कटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसके चलते 15 मिनट से आधे घंटे तक भी ट्रेन लेट हो जाती हैं। ऐसे स्पेशल और सुपर फास्ट ट्रेन के मामले में तो यात्रियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। वहीं जंगली और सुनसान इलाकों में पटरी पार करते समय या पटरी के आसपास मालगाड़ी की चपेट में आकर कटने वाले पशुधन का तो शायद एवरेज लगाना भी मुश्किल है। वहीं कई हादसों के बाद अधिकारी भी हादसे की जांच में जुट जाते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में नतीजा सिफ़र होता है। इन दिनों रेलवे डिपार्टमेंट की तरफ से पशुओं को पटरी पर आने से रोकने के लिए ट्रेक के दोनों और फेंसिंग भी करवाई जा रही हैं। लेकिन यह नई फेंसिंग भी इन दिनों कई जगह से टुट गई है।
*ट्रेन से एक पशु के कटने पर रेलवे को होता है करोड़ों का नुकसान*
रेलवे विभाग के मुताबिक, अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन एक मिनट रुकती है तो उसे 20401 रुपये का नुकसान होता है. वहीं, इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20459 रुपये का नुकसान होता है. इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को एक मिनट रुकने पर 13334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13392 रुपये का नुकसान होता है। अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन एक मिनट रुकती है तो उसे 20401 रुपये का नुकसान होता है. वहीं, इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20459 रुपये का नुकसान होता है. इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को एक मिनट रुकने पर 13334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13392 रुपये का नुकसान होता है। ये वो नुकसान है, जो सीधे तौर पर रेलवे को होता है। अब ट्रेन में बैठे यात्रियों को कितना नुकसान उठाना पड़ता होगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है
*अब तक हुए हादसों में शिकार हुए गौ वंश के आंकड़ों पर एक नजर …*
एक सर्वे रिपोर्ट की मानें तो ट्रेन से कटने के जुड़े गौ वंश को लेकर 2016 से लेकर 2019 तक चार साल में 3090 पशु कटने के बाद ट्रेन 15 मिनट तक लेट हो गईं थी। 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 3360 पशु ट्रेन से कट चुके हैं. दूसरी और इस समय अवधि में करीब 4300 पशु ट्रेन से कटे। 01 अप्रैल 2018 से 30 नवंबर 2018 तक 1685 घटनाएं पशु टकराने की हुईं और 01 अप्रैल 2019 से 30 नवंबर 2019 में 2819 घटनाएं पशुओं के ट्रेन से टकराने की हुईं‌। जिसके चलते ट्रेनों को 15 से 30 मिनट से ज़्यादा रोकना पड़ा। जिनकी संख्या 5 साल में लगभग 600 से ज्यादा है। यह सभी आंकड़े एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार देश प्रदेश सहित अन्य राज्यों के भी है।

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