Homeभीलवाड़ानिजी आय का स्रोत बना आसींद का महावीर विश्रांति गृह

निजी आय का स्रोत बना आसींद का महावीर विश्रांति गृह

सरकारी अनुदान का हो रहा दुरुपयोग

आसींद|स्मार्ट हलचल|सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास मरीजों के परिजनों को निशुल्क ठहरने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सरकारी अनुदान से निर्मित महावीर विश्रांतिगृह अब निजी आय का स्रोत बनता जा रहा है। स्थानीय लोगों और नगर पालिका पार्षद सत्येंद्र सिंह ने ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि विश्रांति भवन का उपयोग शादी-ब्याह जैसे व्यावसायिक आयोजनों के लिए किया जा रहा है, जिससे मरीजों के जरूरतमंद परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, आसींद कस्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नजदीक सरकार द्वारा मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को रात्रि विश्राम के लिए एक विश्रांति भवन का निर्माण करवाया गया था। इसका उद्देश्य दूर-दराज से आने वाले गरीब परिवारों को मुफ्त में ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराना था, ताकि उन्हें इलाज के दौरान आर्थिक बोझ का सामना न करना पड़े। हालांकि, अब स्थिति बिल्कुल विपरीत है। नगर पालिका के पार्षद सत्येंद्र सिंह ने खुलकर आरोप लगाया है कि विश्रांति गृह के ट्रस्टी भवन का व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं और इससे लाखों रुपए की आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भवन को शादी-ब्याह और अन्य व्यावसायिक आयोजनों के लिए किराए पर दिया जा रहा है, जबकि यह मरीजों के परिजनों के लिए निशुल्क आवास की व्यवस्था के लिए बनाया गया था। ट्रस्ट द्वारा विश्रांति गृह की दुकानों को अवैध रूप से किराए पर दिया गया है और उससे भी आय प्राप्त की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह भवन सरकारी अनुदान से बना है और इसका उद्देश्य मरीजों के परिजनों की सेवा करना है, तो ट्रस्ट किस अधिकार से इसका व्यावसायिक उपयोग कर रहा है स्थानीय लोगों में भी इस बात को लेकर गहरा रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि जब किसी गरीब परिवार को अपने मरीज के साथ रुकने की आवश्यकता होती है, तो उन्हें या तो जगह नहीं मिलती या फिर उनसे भी शुल्क की मांग की जाती है। जबकि, दूसरी ओर भवन में भव्य शादी समारोह और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि ट्रस्ट अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है।इस पूरे मामले पर जब संबंधित ट्रस्ट के पदाधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे बात नहीं हो पाई।सरकारी अनुदान से बने विश्रांति गृह के इस तरह से व्यावसायिक उपयोग और मरीजों के परिजनों के लिए उपलब्ध सुविधा के दुरुपयोग का मामला गंभीर है। स्थानीय लोगों और पार्षद सत्येंद्र सिंह ने जिला प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि विश्रांति गृह का मूल उद्देश्य बना रहे और जरूरतमंद मरीजों के परिजनों को इसका लाभ मिल सके। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस गंभीर आरोप पर क्या कदम उठाता है और कब तक मरीजों के हक में इस विश्रांति गृह को वापस दिलाया जाता है।

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