स्मार्ट हलचल/
1999 में बना राजकीय विद्यालय खंडहर जैसा हुआ, अध्यापक अनिल साहू के जुनून ने बदल डाली विद्यालय की तस्वीर
दांतडा बांध ग्राम पंचायत के कालामाथरा राजकीय
विद्यालय का नामांकन सिर्फ छ:रहा था जो पहुंचा 33 पर
दिनेश साहू आसींद
आसींद:स्मार्ट हलचल/शिक्षक चाह जाएं तो स्कूल का माहौल बदल सकता है। आसींद उपखंड के दातडा बांध के कालामथारा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अनिल साहू ने राजकीय विद्यालय के बच्चों के प्रति शिक्षा को लेकर विद्यालय भवन की कायापलट ही कर दी, स्कूल और शिक्षा व्यवस्थाओं को बदलने और सुधारने के जूनून के साथ स्कूल के प्रधानाध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायाकल्प भी कर के रख दिया। स्कूल के अध्यापक इंजी.अनिल साहू ने अपने खुद के निजी, गांव व भामाशाह के खर्च पर राजकीय स्कूल की तस्वीर ही बदल कर रख डाली है।
1999 में दातडा बांध के कालामथारा राजस्व ग्राम में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना के बाद इस राजकीय विद्यालय के वर्तमान हालात खंडर जैसे हो गए थे, 6 माह पूर्व ही अध्यापक अनिल साहू की इस राजकीय विद्यालय में नियुक्ति हुई, अध्यापक अनिल ने राजकीय विद्यालय की खंडहर भवन को कायाकल्प करने की मन में ठान ली, परिणाम स्वरूप आज इस राजकीय विद्यालय की तस्वीर देखते ही बनती है,भवन के हालत सुधार कर पेड़ पौधे लगाए, पानी की व्यवस्था करवाईl
कक्षा 1 से लेकर पांचवी तक छ:बच्चे थे अब तेतीस, पहले पठन-पाठन का माहौल बनाया
इंजी.अध्यापक अनिल साहू ने सबसे पहले विद्यालय भवन की दशा सुधारने की ठानी। फिर पठन-पाठन का माहौल बनाया। हालात सुधरे तो बच्चों को घरों से बुलाकर लाने की जरूरत खत्म हो गई। अभिभावकों ने जब बदलाव महसूम किया तो बच्चों को समय से स्कूल भेजना शुरु कर दिया। इसके साथ ही अध्यापक अनिल साहु ने अपने वेतन से थोड़ा थोड़ा पैसा बचाकर स्कूल में लगाना शुरु किया कुछ सहयोग गांव वालो तथा भामाशाहों का लिया ।
विद्यालय भवन के रंग-रोगन से सूरत बदलने के साथ ही दीवारों पर आकर्षक ढंग से बालिका शिक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता स्लोगन अंकित करवाएं,परिणाम स्वरुप विद्यालय का भवन आज जग मगा उठा
चार दीवार के लिए शिक्षक ने भामाशाह तथा राजनेताओं से की अपील
कालामथारा राजकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अनिल साहू ने बताया कि कई प्रयासों के बाद विद्यालय की भवन कायापलट तो हो गया है लेकिन अभी भी चारदीवारी नहीं होने के कारण कहीं बड़ी व भारी समस्याओं का छात्रों को सामना करना पड़ता है यदि कोई भामाशाह व राजनेता चार दिवारी की जिम्मेदारी लेवे तो इन गांवों के विद्यार्थियों का भविष्य और अधिक उज्जवल होगा