मुकेश खटीक
मंगरोप।लोकदेवता वीर तेजाजी महाराज की लीलण घोड़ी सहित प्रतिमा अब हमीरगढ़ कस्बे में भव्य स्वरूप में विराजमान होने जा रही है।इसे लेकर कस्बे में दो दिवसीय महोत्सव 24 व 25 अगस्त को बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ आयोजित किया जा रहा है।कार्यक्रम की शुरुआत रविवार को 351 कलशों की भव्य यात्रा से हुई, जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।यह यात्रा कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए पुनः तेजाजी चौक पर पहुंचकर सम्पन्न हुई।नया बाजार स्थित मस्जिद चौक पर मुस्लिम समाज के गणमान्य लोग हाजी कमरुद्दीन नीलगर,असलम भाटी,बाबुद्दीन बिसायती,सिकंदर शोरगर,रज्जाक नीलगर व अब्दुल मुबारिक,अयूब डायर आदि ने कलश यात्रा में शामिल आयोजन समिति के प्रमुख युग प्रदीप सिंह राणावत का साफा व माला पहनाकर आत्मीय स्वागत किया।यह दृश्य साम्प्रदायिक सौहार्द और कौमी एकता का अनुपम उदाहरण बन गया,जिसने कस्बे के लोगों को गहराई तक प्रभावित किया।रविवार रात्रि 8 बजे राजस्थान के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा वीर तेजाजी महाराज के जीवन चरित्र पर आधारित भव्य कथा का मंचन किया गया,जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।आज तेजाजी महाराज के
हवन-पूजन और अभिषेक के साथ कार्यक्रम की शुरुआत होगी।इसके बाद लीलण घोड़ी पर सवार तेजाजी महाराज की साढ़े ग्यारह फीट ऊंची विशालकाय प्रतिमा का विधिवत अनावरण और स्थापना होगी। यह प्रतिमा विशेष रूप से नागौर जिले के खरनाल कस्बे (तेजाजी महाराज की जन्मभूमि) से मंगवाई गई है, जो क्षेत्र में आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई है।प्रतिमा स्थापना के उपरांत कन्या भोज का आयोजन किया जाएगा,जिसमें कस्बे व आसपास के क्षेत्रों से आई बड़ी संख्या में कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाएगा।समारोह में बड़ी संख्या में ग्रामीण,समाजसेवी,जनप्रतिनिधि एवं श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्य रतनलाल मंडोवरा,आशा देवी मंडोवरा,राजू आचार्य,गोविंद सोनी,जगदीश स्वर्णकार,सुशील भट्ट आदि मौजूद रहे।युग प्रदीप सिंह राणावत ने कहा कि इस भव्य प्रतिमा के लोकार्पण से कस्बे का यह धार्मिक स्थल नई पहचान प्राप्त करेगा और आने वाले समय में श्रद्धा व आस्था का केंद्र बनेगा।हमीरगढ़ में तेजाजी महाराज के इस महोत्सव ने न केवल धर्म और संस्कृति की नई छाप छोड़ी है बल्कि कौमी एकता का ऐसा संदेश दिया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी रहेगा।