स्मार्ट हलचल| “सावण री ओस आ गई, बादल थारे अंगण चारू। राखी रो रेशम धागो, बांधे दिल रो प्यारु बंधन हजारू। भाई-बहन रा साखा में, मिठास ही मिठास होवे। बूँद-बहार री फुहार में, ई रिसो रहस्यित मितास गोवे। रक्षाबंधण री घणी-घणी शुभकामना!”
“सावनी री सरसराहट में, बरसात री बुट्टी रास भरी। रेशमी धागा थारी कलाई पर बांधे, भाई बहन री बात माखण सी नरमी भरि। थारा हाथ में राखी, थारी कलाई में उमंग, म्हारा प्रेम सदा रहे तेकरी रक्षा में संग। रक्षाबंधण रा पावन अवसर घणी-घणी बधाई!”
“एक रेशम री डोरी में बंधले भाइ बहण रो प्यार है, मुबारक आप सबने रक्षाबंधण
“चंदन को टीको और रेशम को धागो, सावण री फुहार में भाई री उम्मीद, बहन रो प्यार— मुबारक राखी रा त्योहार।” बरसात, संबंध और रक्षा—तीनों भाव एकरस रूप में।
“भाई-बहन रो अनोखो रिस्तो, कभी प्रेम सूं, तो कभी लड़ाई, रक्षाबंधण री बधाई सबने दिल सूं शाय–राई।” रिश्तों की मिठास और खिलखिलाहट का मिलाजुला स्वरूप।
“राखी री रेशम डोरी में बंधे, सावण री खुशबू, मोती सी प्यारी बात, भाई बहन रो रिस्तो रहे ऐसा, प्रेम री छांव सदा रहे साथ।”


