साम्प्रदायिक सौंदर्य की प्रतीक एवं कौमी एकता की जीवंत मिसाल, वास्ता इस्लाम धर्म से था जबकि सेवक दूसरे धर्मों से थे।
हजरत पीर कुर्बान शाह बापू की दरगाह 620 वर्ष पुरानी , गायों के प्रति बहुत लगाव था चमत्कार भी दिखा , 70 साल की औरत के जुड़वा संतान की मन्नत का किस्सा आज भी लोगों में काफी लोकप्रिय है , सभी धर्मों जाती के लोग पहुंचे है दरगाह पर।
युनुस खान
भीनमाल / . स्मार्ट हलचल/निकटवर्ती हजरत कुर्बान शाह बापू का 38 वा उर्स 16 जनवरी को मनाया जाएगा दरगाह खादिम मौलाना निसार अहमद ने बताया कि 15 जनवरी बुधवार शाम को दरगाह पर चादर पेश की जाएगी , चादर पेश होते ही हजरत कुर्बान शाह बापू का 38 वा उर्स का आगाज होगा । 16 जनवरी गुरुवार को भरपूर उर्स लगेगा । वहीं रात्रि में जलसे का आगाज होगा जिसमें जोधपुर से मुकरिर खुसूसी हजरत अल्लामा मौलाना सैय्यद नूर मियां अशरफी एवं रामपुर उत्तरप्रदेश से शायरे इस्लाम मोहसीन रजा तशरीफ़ लाएंगे जिसको लेकर दरगाह परिषद को आकृर्षित रोशनियों से सजाया जा रहा है।
जिंदा वली के रूप में लोगों की मद्दत की
ऐसी किंवदंती है कि इस वीरान जंगल में जब लोग रास्ता भटक जाया करते थे। तब हजरत पीर कुर्बान शाह बापू घोड़े पर सवार होकर उसे अपने घर तक छोड़ने जाया करते थे।
गायों के प्रति बहुत लगाव था, चमत्कार भी दिखाया
हजरत पीर कुर्बान शाह बापू को गायों से बहुत ज्यादा लगाव था। जानकारी के अनुसार एक बार जंगल में प्यासी गायों को चरवाहे ने रातेलानाडी में पानी पीने से रोक दिया था , तब चरवाहे के ऊपर बापू ने नाराज होकर उसे चमत्कार दिखाया था। दरगाह पर सभी धर्म जाती के लोग आते है। वास्ता इस्लाम धर्म से था जबकि सेवक दूसरे धर्मों से थे।
बे औलादों को दी औलाद
गंभीर बीमारियों से शिफा सहित अनेक कष्टों का निवारण होता है। यह एक 70 साल की औरत के जुड़वा संतान प्राप्ति की मन्नत का किस्सा लोगों में काफी लोकप्रिय है।