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(हरिप्रसाद शर्मा )
स्मार्ट हलचल|पुष्कर/ तीर्थराज पुष्कर की पवित्र धरा पर बुधवार को जलझूलनी एकादशी का परम पावन महापर्व उल्लास और श्रद्धा से मनाया गया । हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नगर के मंदिरों से भगवान की भव्य रेवाड़ियाँ गाजे-बाजे और शंख-घंटियों की मंगलध्वनियों के बीच नगर भ्रमण करते हुए मुख्य गऊघाट पर पहुँची।
प्रतिवर्ष जलझूलनी एकादशी का पर्व रेलगाड़ियाँ अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से निकाली जाता रही है। ख़ास बात यह है कि यह रवाडियाँ हर समाज के द्वारा शोभायात्रा के साथ निकाली गई ।
धार्मिक मान्यता है कि धर्मशास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन भगवान विष्णु जलविहार करते हैं और उनके दर्शन-स्नान से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि पुष्कर सरोवर पर हर वर्ष यह पर्व धर्म-संगम का रूप ले लेता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सभी रेवाडियॉं मुख्य गऊ घाट पर मध्याह्न पश्चात वराह मंदिर,जोगणियां धाम बसीठा समाज, जीनगर समाज, रावणा राजपूत समाज, धोबी समाज, सरगरा समाज, कुमावत समाज, रैगर समाज और जांगिड़ समाज के मंदिरों से भगवान की पालकियों में रेवाड़ियाँ निकलेंगी। गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़ों और भक्तिरस से भरे कीर्तन के बीच जब यह रेवाड़ियाँ नगर मार्गों से गुजरेंगी तो श्रद्धालु पुष्पवर्षा कर भगवान का स्वागत श्रद्धालुओं ने किया ।
गऊ घाट पर स्नान और महाआरती के पश्चात भगवान की पालकियाँ पुनः अपने-अपने मंदिरों को लौटेंगी। नगर दिन नगर में भक्ति, श्रद्धा और उत्सव का वातावरण रहा ।